facebookmetapixel
नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल का पड़ोसी दरभंगा पर कोई प्रभाव नहीं, जनता ने हालात से किया समझौताEditorial: ORS लेबल पर प्रतिबंध के बाद अन्य उत्पादों पर भी पुनर्विचार होना चाहिएनियामकीय व्यवस्था में खामियां: भारत को शक्तियों का पृथक्करण बहाल करना होगाबिहार: PM मोदी ने पेश की सुशासन की तस्वीर, लालटेन के माध्यम से विपक्षी राजद पर कसा तंज80 ही क्यों, 180 साल क्यों न जीएं, अधिकांश समस्याएं हमारे कम मानव जीवनकाल के कारण: दीपिंदर गोयलभारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर दिया जोरपीयूष पांडे: वह महान प्रतिभा जिसके लिए विज्ञापन का मतलब था जादूभारत पश्चिम एशिया से कच्चा तेल खरीद बढ़ाएगा, इराक, सऊदी अरब और UAE से तेल मंगाकर होगी भरपाईBlackstone 6,196.51 करोड़ रुपये के निवेश से फेडरल बैंक में 9.99 फीसदी खरीदेगी हिस्सेदारीवित्त मंत्रालय 4 नवंबर को बुलाएगा उच्चस्तरीय बैठक, IIBX के माध्यम से सोने-चांदी में व्यापार बढ़ाने पर विचार

जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा, जलवायु के फाइनेंसिंग के लिए एजेंसियों का पुनर्गठन जरूरी

Last Updated- January 13, 2023 | 10:23 PM IST
G20 Sherpa Amitabh Kant

जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि बहुपक्षीय संस्थानों से ज्यादा दीर्घकालिक उधारी और मिश्रित वित्त तक पहुंच बनाने के लिए इन निकायों का पुनर्गठन करने और इन्हें 21वीं सदी की जरूरतों के अनुरूप बनाने की जरूरत है। भारत ने 2023 के लिए जी-20 की अध्यक्षता ली है और इस साल इसके सभी सम्मेलनों का आयोजन करेगा।

पब्लिक अफेयर्स फोरम आफ इंडिया (PAFI) के सालाना व्याख्यान में शुक्रवार को कांत ने कहा कि भारत ज्यादा औद्योगीकरण के माध्यम से अपने नागरिकों को बेहतर गुणवत्ता की जिंदगी मुहैया करा रहा है, ऐसे में देश को ज्यादा लंबी अवधि के ऋण की जरूरत है।

कांत ने कहा, ‘ये बहुपक्षीय एजेंसियां विश्व युद्ख के बाद बनाई गई थीं और टिकाऊ विकास और जलवायु वित्तपोषण के लिए इनकी डिजाइन नहीं बनी थी।’ चल रहे जी-20 सम्मेलन में प्रमुख चुनौतियों में से एक यह है कि भारत वैश्विक विकास के लिए उपलब्ध 200 करोड़ डॉलर की उपलब्ध निजी संपत्तियों में किस तरह तारतम्यता बनाए।

टिकाऊ विकास
मंदी के दौर में भारत ने दुनिया भर में दीर्घकालीन और सतत विकास को लेकर दृढ़ता से विचार रखे हैं। कांत ने कहा, ‘दीर्घावधि टिकाऊ विकास विश्व के लिए ऐसे समय में अहम है, जब दुनिया भर में संरचनात्मक सुधारों की जरूरत है। इससे बेहतर बुनियादी ढांचे का सृजन होगा, मांग बढ़ेगी और खपत में तेजी आएगी। इससे ज्यादा संख्या में लोग गरीबी रेखा के ऊपर आएंगे।’

उन्होंने कहा कि वैश्विक घटनाओं के कारण 20 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं। कांत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का टिकाऊ विकास का लक्ष्य भी प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में भारत जलवायु कार्रवाई और जलवायु न्याय के लिए भी लड़ेगा।

तकनीकी नवोन्मेष
डेटा और तकनीकी नवोन्मेष के मसले पर कांत ने जोर दिया कि भारत का टेक्नोलॉजिक और डेटा इनोवेशन का मॉडल अमेरिका के बिग टेक मॉडल या यूरोप द्वारा स्वीकार किए गए मॉडल से अलग है। बिगटेक मॉडल में निजी उद्यमियों को अपने डेटा की अनुमति होती है। कांत ने कहा कि चाहे वह चीन की अलीबाबा या टेनसेंट हो या अमेरिका की गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक हो, बिग टेक कंपनियां नवोन्मेषी हैं और डेटा रखती हैं। कांत ने कहा कि भारत का मॉडल अलग है, जहां सार्वजनिक प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं।

First Published - January 13, 2023 | 10:23 PM IST

संबंधित पोस्ट