नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने ऑडिट के दौरान उन 3 टेक्सटाइल पार्कों को बंद पाया, जिन्हें कपड़ा मंत्रालय ने सफलतापूर्वक पूर्ण के रूप में वर्गीकृत करते हुए चालू हालत में दिखाया था। इनमें सूरत (गुजरात), पोचमपल्ली (तेलंगाना) और लाटूर (महाराष्ट्र) में स्थित टेक्सटाइल पार्क शामिल हैं।
संसद में पिछले सप्ताह पेश ऑडिट रिपोर्ट में कैग ने कहा कि मंत्रालय ने परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) की सिफारिशों के आधार पर इन पार्कों को पूरा हुआ मान लिया और अपने अधिकारियों से इनका स्थलीय निरीक्षण नहीं कराया। कैग ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को पीएमसी और विशेष उद्देश्य इकाई के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए, जिन्होंने झूठी सूचनाएं दीं।
पूरे किए जा चुके 10 पार्कों में से ऑडिट में पाया गया कि मंत्रालय ने 5 पार्कों को बगैर साझा बुनियादी ढांचा विकसित किए ही पूर्ण मान लिया। पीएमसी की सिफारिशों के मुताबिक मंत्रालय ने नमूने के तौर पर लिए गए 3 पार्कों के लिए अनुदान (कुल अनुदान का 60 से 79 प्रतिशत तक) जारी कर दिया और यह सुनिश्चित नहीं किया कि पार्क बनाने के लिए आवश्यक मंजूरियां मिली हैं या नहीं।
इसमें कहा गया है, ‘3 सैंपल पार्कों के लिए 79.61 करोड़ रुपये का अनुदान फायदेमंद साबित नहीं हुआ क्योंकि वैधानिक मंजूरी नहीं मिल पाने के कारण पार्क अभी अधूरे थे।’
कैग ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने के लिए जमीन की उपलब्धता और आवश्यक वैधानिक मंजूरी को अनुदान जारी करने के पूर्व की शर्त के रूप में रखने पर विचार करना चाहिए।
केंद्र सरकार ने 2005 में एकीकृत टेक्सटाइल पार्क योजना (एसआईटीपी) पेश की थी, जिसका मकसद कपड़ा इकाइयों के लिए वैश्विक स्तर का बुनियादी ढांचा विकसित करना था, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होते और निवेश बढ़ता। जून 2016 तक मंत्रालय ने 98 पार्कों को मंजूरी दी, इसके बाद कोई अतिरिक्त पार्क मंजूर नहीं किए गए। इन पार्कों के लिए केंद्र सरकार ने 1,592.52 करोड़ रुपये जारी किए।
मंत्रालय द्वारा कैग को दिए गए आंकड़ों के मुताबिक मंजूर किए गए 98 पार्कों में से 26 को पूरा दिखाया गया है, जबकि 30 पर काम चल रहा है, वहीं 42 रद्द कर दिए गए हैं।