चेन्नई कर ट्राइब्यूनल ने कर छूट के खंड 10 ए के तहत महत्त्वपूर्ण तथ्यों को उजागर किया है।
एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में ट्राइब्यूनल ने खंड 10 ए के अंतर्गत दुरुपयोग रोकने के प्रावधानों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला है।मामला सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स से जुड़ा हुआ है।
अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में चेन्नई कर ट्राइब्यूनल ने राजस्व विभाग की अपील को रद्द करते हुए आदेश जारी किया कि कर छूट का लाभ नई व्यापारिक इकाइयों को मिलेगा बशर्ते कि वे मौजूदा इकाइयों को तोड़कर नहीं स्थापित की गई हों। पिछले कुछ दिनों से व्यवसायी करदाता निर्यात और स्थानीय बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चेन्नई की एक इकाई के साथ सॉफ्टवेयर विकास में संलग्न रहे थे।
दूसरे स्थानों में नई इकाइयों के निर्माण के बाद उन्होंने राजस्व विभाग से करों में छूट की मांग की। लेकिन राजस्व विभाग ने उनकी मांग को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि नई इकाइयों का निर्माण मौजूदा इकाइयों को तोड़कर किया गया है। अपने दावे को सही ठहराने के लिए राजस्व विभाग ने तर्क दिया कि त्रिची में नवनिर्मित इकाई अपने ग्राहकों को चेन्नई स्थित इकाई की तरह ही सेवाएं मुहैया करा रही है।
हालांकि राजस्व विभाग ने अपनी बात को जायज ठहराने के चक्कर में यह समझना मुनासिब नहीं समझा कि नई इकाइयों को स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है। दूसरी तरफ इस नई इकाई के जरिए ग्राहकों की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी हुई थी।
ट्राइब्यूनल ने स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यवसाय पुराने व्यवसाय को ही तोड़कर लगाया गया है तो ऐसी स्थिति में इस बात का पुख्ता प्रमाण होना चाहिए। मसलन,मौजूदा व्यवसाय की परिसंपत्ति का ही निवेश नई इकाइयों को स्थापित करने में किया जा रहा है या दोनों इकाइयां एकसमान हैं और नवनिर्मित इकाई मौजूदा इकाई का अभिन्न अंग है इत्यादि।
गौरतलब है कि ट्राइब्यूनल ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक मामले में मानदंड उस मामले की वास्तविकता जानने के बाद ही निर्धारित किए जा सकते हैं।उच्चतम न्यायालय की विनिर्माण संबंधी चिंताओं के संदर्भ में दिए गए आदेश क ो आधार बनाते हुए चेन्नई ट्राइब्यूनल ने कहा कि नई इकाइयों का निर्माण अनिवार्य रूप से नए निवेश से होना चाहिए।
ट्राइब्यूनल ने साथ में यह भी कहा कि इस बात का कोई विशेष अर्थ नहीं है कि नई इकाइयां मौजूदा इकाइयों की तरह ही सेवाएं दे रही है या उससे अलग।ट्राइब्यूनल के इस निर्णय से जो सिध्दांत सामने आते हैं उसके अनुसार किसी भी संयत्र में उसके कार्यबल और ग्राहकों के अलावा पर्याप्त निवेश दुरुपयोग की रोकथाम के प्रावधान के सामने आने से रोकने में मददगार साबित होते हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि चेन्नई कर ट्राइब्यूनल के इस निर्णय का दूरगामी असर पड़ सकता है क्योंकि यह राजस्व अधिकारियों की मनमानी को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि कर छूट के संबंध में आदेश सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स के परिप्रेक्ष्य में आया है लेकिन विशेष आर्थिक क्षेत्र के संबंध में भी यह बात लागू हो सकती है बशर्ते दुरुपयोग रोकथाम संबंधी प्रावधान समान हो।
हालांकि राजस्व विभाग ट्राइब्यूनल के इस फैसले को चुनौती दे सकती है लेकिन मेरा मानना है कि चेन्नई कर ट्राइब्यूनल के इस निर्णय से नई इकाइयों की कर छूट की आवश्यक शर्तों के बारे में जो भ्रम हैं उन्हें दूर करने में काफी सहायता मिलेगी।
यह खासकर उन सॉफ्टवेयर टेक्ोलॉजी के लिए ज्यादा कारगर होगी जो विशेष आर्थिक क्षेत्र यानी सो की तरफ पलायन कर रही है। एक बात तो तय है कि सॉफ्टवेयर कंपनियां ट्राइब्यूनल के फैसले का जोरदार स्वागत करेंगी लेकिन अंतिम निर्णय पर सभी की आंखे टिकी हुई हैं।