उच्चतम न्यायालय ने खस्ताहाल घोषित किए जा चुके चंपारण शुगर कॉरपोरेशन लिमिटेड की संपत्ति की बिक्री को लेकर उठे विवाद को सुलटा लिया है।
बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रियल ऐंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन की ओर से भुगतान के बावजूद 2001 में इसे नीलामी के जरिए बेच दिया गया था। शुरुआत में खरीद के लिए दो प्रमुख दावेदार थे, हनुमान इंडस्ट्रीज और वी के गुप्ता।
वी के गुप्ता ने खरीद के लिए पांच करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा और अधिकारियों ने इसे स्वीकार कर लिया। प्रतिद्वंद्वियों ने इस निर्णय को चुनौती दे दी और अपील को स्टे भी मिल गया। यह स्टे 6 साल तक जारी रहा। इस दौरान चंपारण शुगर की संपत्ति का मूल्य भी बढ़ गया। अब हुआ यह कि स्टे लगने की वजह से इस दौरान कई और खरीदारों ने बढ़ाकर कीमत की पेशकश की।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कंपनी जज ने आदेश दिया कि कंपनी की संपत्ति को बेचने के लिए फिर से नीलामी की जाए। गुप्ता ने इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि वह 2001 में ही इस कंपनी की संपत्ति को खरीद चुके हैं। डिविजन बेंच ने उनकी दलील को मान लिया।
आईएफसीआई और आईडीबीआई जो दोबारा से नीलामी की प्रक्रिया में शामिल हो चुके थे उन्होंने उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील कर दी। उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि चूंकि उस दौरान गुप्ता ने सबसे अधिक की बोली लगाई थी इस वजह से संपत्ति को रखने का अधिकार उनके पास ही है, पर इतने समय के लिए रकम पर जितना ब्याज बनता है, वह उसे चुका दें।
हिंदुस्तान प्रोडक्ट लि.
पिछले हफ्ते उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला सुनाया कि किसी लिक्विडेटेड फर्म की संपत्ति की नीलामी अगर हो चुकी है तो बिक्री के खिलाफ किसी तरह की चुनौती पर तब तक सुनवाई नहीं की जाएगी जब तक संपत्ति की बिक्री धोखाधड़ी से संबंधित न हो।
मामला हिंदुस्तान प्रोडक्ट (गुजरात) लिमिटेड की संपत्ति की नीलामी का था जिसके आदेश लिक्विडेटर अधिकारियों ने दिए थे। वालजी खीमजी और कंपनी ने सबसे ऊंची बोली लगाई और इस बोली को स्वीकार भी कर लिया गया। दो महीने बाद मणिभद्र सेल्स कॉरपोरेशन और कास्टवेल एलॉयेज लिमिटेड भी इस दौड़ में शामिल हो गए और उन्होंने खरीद के लिए ऊंची बोली लगाई।
गुजरात उच्च न्यायालय के कंपनी जज ने पुराने आदेश को वापस लेते हुए फिर से नीलामी कराने के आदेश दिए। फिर से नीलामी का आदेश सुनकर वालजी खीमजी ने उच्चतम न्यायालय में अपील कर दी। उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हुए वालजी खीमजी के पक्ष में फैसला दिया और कहा कि संपत्ति का अधिकार उनके पास ही रहेगा।
अधिसूचना का प्रभाव
उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते एक फैसला सुनाया कि अगर राजस्व विभाग ने कोई अधिसूचना जारी की है जो उसकी पुरानी अधिसूचना से उलट हो तो उस अधिसूचना का कोई महत्व नहीं रहेगा।
कस्टम, एक्साइज और सर्विस टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले को संदुर माइक्रो सरकिट्स लिमिटेड और कुछ दूसरी कंपनियों ने चुनौती दी थी और उन अपीलों के दौरान इस सिद्धांत को ध्यान में रख गया था। केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से जारी अधिसूचना के तहत शुल्क में राहत का लाभ उठाने के लिए ट्रिब्यूनल ने कंपनियों के दावों को ठुकरा दिया।