ब्लैकबेरी सेवाओं से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा संबंधी विवाद के बीच कनाडा ने इस पूरे प्रकरण को सुलझाने में दूरसंचार विभाग को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है।
इसके साथ ही कनाडा ने इस बात पर संदेह जताया है कि मामले को सुलझाने के लिए भारत की ओर से शामिल लोग वास्तव में इसके योग्य हैं।कनाडा के उच्चायुक्त डेविड एम. मेलोन ने इस बारे में संचार एवं आईटी मंत्री ए. राजा को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है हम और रिम (रिसर्च इन मोशन) यह जानना चाहते हैं कि भारत सरकार में इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अधिकारसंपन्न कौन हैं?
रिम, यानी रिसर्च इन मोशन, कनाडा की ब्लैकबेरी प्रदाता फर्म है। इस पत्र में ब्लैकबेरी की तकनीक के बारे में मीडिया में खबरें लीक होने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस तरह की जानकारी लीक होने के कारण संभावित आतंकवादी अब तकनीकी मुद्दों के जानकार हो गए हैं, जबकि पहले लोगों को इसकी तकनीकी जानकारी नहीं थी।
राजा ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि इस मुद्दे को सप्ताह भर में सुलझा लिया जाएगा, लकिन कनाडाई उच्चायुक्त के पत्र पर को देखते हुए लगता है कि दूरंसचार विभाग तथा रिम में अभी इस बात पर ही सहमति नहीं बन पाई है कि भारत की ओर से बातचीत में प्रतिनिधित्व कौन करेगा।
सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जताई थी कि आतंकवादी ग्रुप इस सेवा का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इससे भेजे जाने वाले डाटा पर सुरक्षा एजेंसियां निगरानी नहीं रख सकतीं। दरअसल, ब्लैकबेरी से भेजा जाने वाला डाटा विदेशों में स्थित सर्वरों के जरिए आता है। इसके बाद से ही इस सेवा पर विवाद शुरू हो गया था। सूत्रों का कहना है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां ब्लैकबेरी सर्वर को भारत में स्थापित करने पर जोर दे रही हैं, ताकि ब्लैकबेरी हैंडसेट से भेजे जाने वाले डाटा पर निगरानी रखी जा सके।