एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) ने इस साल जनवरी से सूचना और प्रसारण मंत्रालय को विदेशी सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म वाले 413 विज्ञापन चिह्नित किए हैं। इसके अलावा वह रियल मनी गेम्स (आरएमजी) से संबंधित दिशानिर्देशों की अवहेलना करने पर 12 अन्य प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई कर रही है। स्व नियामक विज्ञापन निकाय की यह कवायद बीते महीने ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ), फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटसी स्पोर्ट्स (एफआईएफएस) और ई-गेमिंग फेडरेशन (ईजीएफ) जैसे ई-गेमिंग एसोसिएशन के साथ किए गए करार के बाद की गई है। अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक एएससीआई ने 1,336 विज्ञापनों को चिह्नित किया है और निकाय द्वारा आरएमजी से जुड़े 492 मामले भी देखे हैं।
एसएससीआई और ऑनलाइन गेमिंग फेडरेशन के बीच हालिया करार विदेशी संस्थाओं के अवैध सट्टेबाजी और जुआ वाले विज्ञापनों पर बढ़ती चिंताओं को खत्म करने के लिए किया गया है। इसने संबंधित मंत्रालयों को विदेशी सट्टेबाजी और जुए के विज्ञापनों की निगरानी और रिपोर्टिंग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक खास निगरानी सेल भी बनाया है। सेल को एएससीआई दिशानिर्देशों की अवहेलना करने वाले आरएमजी विज्ञापनों की निगरानी का जिम्मा सौंपा गया है, जिसका उद्देश्य उद्योग भागीदारों के अनुपालन को मजबूत करना है।
एएससीआई की मुख्य कार्य अधिकारी और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ‘भारतीय उपभोक्ताओं को विदेशी सट्टेबाजी और जुआ खिलाने वाली कंपनियों के असंख्य विज्ञापनों का सामना करना पड़ता है, जिनकी भारत में कोई जवाबदेही नहीं है। कई भारतीय हस्तियां भी ऐसे विज्ञापनों का हिस्सा हैं। चूंकि देश के अधिकतर हिस्सों में सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापन प्रतिबंधित हैं, इसलिए बड़े पैमाने पर उन्हें प्रसारित करना कानून का उल्लंघन है।’ कपूर ने कहा कि संगठन ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ जरूरी कार्रवाई के लिए नियामक को भेजेगा।
पैसे जीतने के लिए ऑनलाइन गेमिंग पर एएससीआई के दिशानिर्देशों के मुताबिक, कंपनियों को ऐसे डिस्क्लेमर दिखाना अनिवार्य है कि ऐसे खेल की लत लगा सकती है और इसमें आर्थिक जोखिम की भी आशंका रहती है, इसलिए अपने विवेक से खेलना चाहिए। प्लेटफॉर्म को पैसे जीतने को उपयोगकर्ताओं के लिए आय के अवसर अथवा वैकल्पिक रोजगार के तौर पर नहीं दिखाना चाहिए। ऐसे विज्ञापनों में गेम खेलते हुए 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति अथवा ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं दिखाना होगा जो 18 वर्ष से कम उम्र का लगे।
ईजीएफ के मुख्य कार्य अधिकारी अनुराग सक्सेना ने कहा, ‘ई गेमिंग फेडरेशन (ईजीएफ) में हम जिम्मेदार खेलों और अपनी गेमिंग कंपनियों के लिए अनिवार्य ऑडिट करते हैं। एएससीआई की निगरानी सेल से हमारे प्रयासों को और भी बल मिलेगा।’
पिछले हफ्ते वैश्विक काले धन को सफेद करने के मामलों पर नजर रखने वाला फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने भारतीय ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को ऐसी कंपनियों और विदेशी इकाइयों के संचालन से जुड़े काले धन को सफेद करने और आतंकियों को रकम मुहैया कराने जैसे जोखिमों पर चर्चा के लिए बुलाया है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटसी स्पोर्ट्स के मुख्य कार्य अधिकारी नील कैस्टेलिनो ने कहा, ‘हम विज्ञापनों में दुनिया की सर्वोत्तम मानकों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें उम्मीद है कि भारतीय उपभोक्ता भी आरएमजी उद्योग के बीच जिम्मेदार विज्ञापन प्रथाओं को बढ़ावा देते हुए ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में अवैध प्लेटफॉर्मों के झांसे में नहीं आएंगे।’
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के मुख्य कार्य अधिकारी रोलैंड लैंडर्स का कहना है कि एएससीआई और उद्योग के अन्य फेडरेशन के साथ करार कर हमारा उद्देश्य विदेशी जुआ विज्ञापनों और अनुपालन नहीं करने वाली विज्ञापन प्रथाओं की बढ़ती चुनौतियों से निपटना है।
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (डीआईएफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अवैध सट्टेबाजी बाजार में सालाना 100 अरब डॉलर से अधिक की रकम जमा की जाती है। भारत में 56.8 करोड़ से अधिक गेमर्स हैं। यह क्षेत्र वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2022-23 के बीच सालाना 28 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है और इसके अगले पांच वर्षों में 7.5 अरब डॉलर से अधिक राजस्व अर्जित करने की उम्मीद है।