उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग (UP Power Demand) इस बार नया रिकॉर्ड बनाने जा रही है। अप्रैल के पहले हफ्ते से पड़ रही गर्मी के चलते अभी से प्रदेश में बिजली की मांग 20,000 मेगावाट के पार पहुंच गई है।
होली के पहले से ही प्रदेश में मौसम ने मिजाज बदल दिया और हर दिन पारा चढ़ता जा रहा है। मौसम विभाग ने भी इस बार पहले के सालों के मुकाबले कहीं ज्यादा गर्मी और लू चलने का अनुमान जताया है।
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अधिकारियों का भी मानना है कि इस बार गर्मियों में प्रदेश में बिजली की खपत बेकाबू हो सकती है। लोकसभा चुनावों के चलते बिजली का संकट मुद्दा न बन जाए इसलिए कारपोरेशन ने पहले से आपूर्ति के इंतजाम करना शुरु कर दिया है। दूसरे राज्यों से बैंकिंग समझौते के तहत बिजली लेने का इंतजाम किया गया और एनर्जी एक्सचेंज से भी बातचीत की गयी है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने भी इस वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश में बिजली की पीक डिमांड 31917 मेगावाट जाने का आकलन किया है। अधिकारियों का मानना है कि जून के आखिर में और फिर अगस्त में बिजली की मांग कम से कम 30,000 मेगावाट रहेगी। वहीं सितंबर में यह 31,000 मेगावाट के पार जा सकती है। पिछले साल सितंबर के ही महीने में प्रदेश में बिजली की मांग ने 28000 मेगावाट का रिकॉर्ड बनाया था।
पावर कारपोरेशन अधिकारियों का कहना है कि बढ़ती मांग को देखते हुए अभी से इंतजाम किया जा रहा है। आपूर्ति के लिए 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा का सस्ती दरों पर करार किया गया है जबकि बैंकिंग एग्रीमेंट इस बार पहले के चार के मुकाबले छह राज्यों से किया गया है। मई और जून के महीने में प्रदेश में 660 मेगावाट के दो ताप बिजली घरों से उत्पादन शुरु हो जाने की उम्मीद है।
ओबरा और जवाहरपुर में 660-660 मेगावाट की एक-एक इकाई से उत्पादन होने लगा है जबकि मई में दूसरी इकाई भी चालू हो जाएगी। इसी तरह जल्दी ही पनकी में भी 660 मेगावाट की एक यूनिट चालू होने वाली है। अधिकारियों का कहना है कि मांग के मद्देनजर इस बार 30000 मेगावाट तक बिजली का इंतजाम किया जा रहा है।
दूसरी ओर मार्च के आखिरी सप्ताह से लेकर अब तक रोज बढ़ती जा रही मांग के चलते पावर कारपोरेशन को आपूर्ति करने में पसीने छूट रहे हैं। लोकल फाल्ट के नाम पर कई इलाकों में बिजली काटी जा रही है। बीते पांच सालों से प्रदेश में मंडल, जिला मुख्यालयों व बड़े शहरों को 24 घंटे तो गांवों को 18 घंटे बिजली देने का रोस्टर बनाया गया है। रोस्टर के मुताबिक अप्रैल के महीने में बिजली की मांग पहले के सालों में कभी 16000 से 18000 से पार नहीं गयी थी। इस बार मांग में हुई अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने दिक्कतें पैदा की हैं।