केंद्र सरकार ने श्रम संहिताएं लागू करने की तारीख तय करने से इनकार कर दिया है, जबकि 36 में से 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने चार श्रम संहिताओं में से कम से कम किसी एक पर अब तक मसौदा नियम जारी नहीं किए हैं।
यह पूछे जाने पर अधिसूचित नियमों के अनुसार संहिताएं कब पेश की जाएंगी, एक अधिकारी ने कहा कि श्रम संहिताएं शुरू करने की पूरी प्रक्रिया पर काम चल रहा है।
केंद्र ने वर्ष 2019 और 2020 में वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा काम करने की स्थिति के संबंध में चार श्रम संहिताएं तैयार की थीं।
संसद में दिए गए एक लिखित उत्तर के अनुसार इन चार श्रम संहिताओं में से वेतन वाली संहिता को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से सर्वाधिक प्रतिक्रिया मिली है। 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस संहिता पर पूर्व-प्रकाशित मसौदा नियम हैं। केवल पश्चिम बंगाल, मेघालय, नागालैंड और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव तथा लक्षद्वीप ने ऐसा नहीं किया है।
दरअसल ऊपर वर्णित इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इन चारों संहिताओं में से किसी पर भी मसौदा नियम पेश नहीं किए हैं। जिन केंद्र शासित प्रदेशों ने मसौदा नियम पेश नहीं किए हैं, उनके पास विधायिका नहीं है।
दिल्ली, मिजोरम और राजस्थान में केवल वेतन के संबंध में पूर्व-प्रकाशित मसौदा नियम हैं। सिक्किम ने वेतन और औद्योगिक संबंधों पर तथा पुडुच्चेरी तथा अंडमान और निकोबार ने वेतन और सामाजिक सुरक्षा के संबंध में ही ऐसा किया है। महाराष्ट्र ने व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा काम करने की स्थिति को छोड़कर भी संहिताओं पर मसौदा नियम जारी कर दिए हैं।
26 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश औद्योगिक संबंधों पर, 25 सामाजिक सुरक्षा पर तथा 24 व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा काम करने की स्थिति पर मसौदा नियम जारी कर चुके हैं।
इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि तकरीबन सभी राज्यों ने चार श्रम संहिताओं पर मसौदा नियम तैयार कर लिए हैं और नए नियमों को ‘उचित’ समय पर लागू किया जाएगा।
श्रम संविधान की समवर्ती सूची में शामिल है। ऐसे में इन संहिताओं के संबंध में नियम केंद्र और राज्यों दोनों को ही बनाने होते हैं। केंद्र पहले ही इन सभी चार संहिताओं पर हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित करते हुए मसौदा नियम जारी कर चुका है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अगर एक या दो राज्य मसौदा नियम न जारी करें, तो भी श्रम संहिताएं पेश की जा सकती हैं।
अभी यह तय नहीं है कि इन संहिताओं को अलग-अलग लागू किया जाएगा या साझा रूप में। एक सूत्र ने कहा ‘अभी यह फैसला किया जाना है। दोनों के ही सकारात्मक और नकारात्मक पहलू हैं।’
उन्होंने कहा कि अगर ये सभी संहिताएं एक बार में लागू की जाती हैं, तो इसमें कुछ वक्त लग सकता है, क्योंकि सभी राज्यों ने इन सभी चारों संहिताओं पर नियम जारी नहीं किए हैं। लेकिन अगर इन्हें अलग-अलग क्रियान्वित किया जाता है, तो कम से कम कुछ संहिताएं तो प्रभाव में ही जाएंगी। हालांकि इस मामले में इस बात की आशंका है कि अन्य संहिताओं को पेश करने में अधिक समय लग सकता है।