मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 2019-20 में करीब 15-20 फीसदी पवन और सौर बिजली परियोजनाओं ने क्षमता से कम प्रदर्शन किया है। इसमें कहा गया है कि हालांकि, पोर्टफोलियो में विविधता के कारण काफी संख्या में हरित ऊर्जा कंपनियां सुस्ती का मुकाबला कर लेंगी। मूडीज ने कहा है कि भारत के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र ने विगत पांच वर्षों में 20 फीसदी वृद्घि की है।
मूडीज के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ विश्लेषक अभिषेक त्यागी कहते हैं, ‘करीब 15-20 फीसदी भारतीय पवन और सौर परियोजनाओं ने पवन उत्सर्जन में कटौती और सौर परियोजनाओं के लिए कम विकिरण के कारण वित्त वर्ष 2019 और 2020 में क्षमता उपयोगिता के लक्ष्यों को पूरा नहीं किया। इन कारणों से पवन और सौर परियोजनाओं की क्षमता उपयोगिता में क्रमश: 56 फीसदी और 68 फीसदी की कमी आई है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप रेटिंग वाली ऊर्जा कंपनियों के एबिटा में वित्त वर्ष 2020 में 2 से 5.6 फीसदी की कमी आई।
सौर परियोजनाओं की उत्पादन क्षमता में 68 फीसदी कमी के लिए कम विकिरण जिम्मेदार है। पवन परियोजनाओं के लिए उत्सर्जन में कटौती से क्षमता में 56 फीसदी की कमी आई और कुल कम क्षमता प्रदर्शन वाली परियोजनाओं में से 48 फीसदी आंध्र प्रदेश में स्थित थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्यों में कटौती का जोखिम अधिक नजर आ रहा है जो या तो जुड़े हुए पारेषण लाइनों के निर्माण में देरी के कारण से है या फिर कुछ राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियां अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए तरजीही आपूर्ति स्थिति का पूरी तरह से अनुपालन नहीं कर रही हैं।
मूडीज ने पांच रेटिंग वाली कंपनियों- ग्रीनको एनर्जी होल्डिंग्स रिन्यू पावर प्राइवेट लिमिटेड, अदाणी रिन्यूएबल एनर्जी, एजर पावर एनर्जी लिमिटेड और एजर पावर सोलर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड में कुल 11,462 मेगावॉट की 176 परियोजनाओं का विश्लेषण किया। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लक्ष्य से चूकने के बावजूद भारत में अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में 20 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर दर्ज की गई है। खासकर पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन वित्त वर्ष 2015 से 2020 के दौरान 20 प्रतिशत संयुक्त सालाना वृद्धि दर से बढ़ा है। इससे भारत के बिजली उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी बढ़ी है। यह मजबूत नीतिगत समर्थन, इस क्षेत्र में निवेशकों की दिलचस्पी और परियोजना लागत में कमी की वजह से संभव हो पाया है।’
मूडीज ने कहा है कि उसने जिन कंपनियों का विश्लेषण किया हैउनमें सबी की कई परियोजनाएं हैं और इसकी वजह से पोर्टफोलियो विविधीकरण से उनके कर्ज की गुणवत्ता का लाभ मिला है, इसकी वजह से किसी एक परियोजना के कम प्रदर्शन का असर कम हुआ है।
मूडीज ने कहा, ‘बहरहाल किसी एक परियोजना के स्तर पर उल्लेखनीय रूप से प्रदर्शन कम रहने के कारण नकदी की कठिनाई हो सकती है और इस प्रकार से कुछ परियोजनाओं में प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए समर्थन की जरूरत पड़ सकती है। रेटिंग वाली अक्षय ऊर्जा कंपनियों के कर्ज की गुणवत्ता का लाभ भी उनके मजबूत प्रायोजकों से मिल रहा है, जिनकी ज्यादातर मामलों में मजबूत वित्तीय प्रोफाइल है और जरूरत पडऩे पर पूंजी मुहैया कराने की उनकी क्षमता है।