ग्राहकों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग का अनुभव बेहतर बनाने के लिए अब सोशल मीडिया मंच और लाइव वीडियो के अनूठे मेल वाले सोशल और लाइव कॉमर्स को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें इस वक्त निवेशकों के साथ-साथ पारंपरिक ई-कॉमर्स कंपनियों की दिलचस्पी भी बढ़ी है। इस क्षेत्र में अब कई बड़े खिलाड़ी हैं। मसलन इन्फोएज ने 63 लाख डॉलर का निवेश बुलबुल में 17.8 फीसदी की हिस्सेदारी के लिए किया है। फ्लिपकार्ट अब 2गुड सोशल जैसे एक नए मंच का परीक्षण कर रही है जो सामान और कपड़े दिखाने के लिए वीडियो शॉपिंग जैसी सेवाएं देता है। पेटीएम ने भी माईस्टोर के जरिये इस क्षेत्र में प्रवेश किया है जो एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है जो विक्रेताओं और खरीदारों को व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच से जोड़ता है।
सूत्रों के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड भी इस क्षेत्र में संभावनाएं तलाश रही है क्योंकि इसने ई-कॉमर्स मंच जियो मार्ट लॉन्च किया है। फेसबुक ने मीशो में निवेश किया है और इसके एक प्रवक्ता का कहना है, ‘मीशो नए तरह के तीन मार्केटप्लेस की सुविधा देता है जिससे पूरे देश भर में छोटे एवं मझोले कारोबारी और सूक्ष्म उद्यमी सोशल मीडिया के माध्यम से संभावित खरीदारों के साथ जुड़ते हैं। इनमें से अधिकांश उद्यमी महिलाएं हैं।’
इस क्षेत्र के दूसरी स्टार्टअप में एसजेडएस टेक के स्वामित्व वाली कंपनी सिमसिम शामिल है जिसने एक्सेल पार्टनर्स जैसे निवेशकों के एक समूह से कुछ महीने पहले 80 लाख डॉलर जुटाए थे। एक अन्य सोशल कॉमर्स कंपनी मॉल91 को गोजेक कैपिटल के नेतृत्व वाले समूह से पूंजी मिली है। वहीं डीलशेयर ने मैट्रिक्स पार्टनर्स जैसी कंपनियों से 1.1 करोड़ डॉलर जुटाए हैं। बेंगलूरु स्थित डब्ल्यूमॉल और पेसोपी को भी इस क्षेत्र में फंडिंग मिली है।
आमतौर पर सोशल कॉमर्स वेबसाइट ज्यादातर मझोले और छोटे शहरों को लक्षित करती हैं। सोशल कॉमर्स में जिन उपयोगकर्ताओं को अनुभव नहीं है वे ज्यादा ग्राहकों के लिए अपने संपर्कों का लाभ लेती हैं और इससे डिजिटल कंपनी को नए उपयोगकर्ताओं को अपने साथ जोडऩे और मार्केटिंग की लागत को कम करने में मदद मिलती है। जो लोग ग्राहक को जानते हैं वे उनकी ही प्राथमिकताओं के आधार पर किसी उत्पाद को लेने का सुझाव भेजते हैं। जिन सामानों की पेशकश की जाती है उनमें से ज्यादातर सामान जीवनशैली से जुड़े उत्पाद, फैशन, एक्सेसरीज और सौंदर्य से जुड़े होते हैं जो टेलीविजन और फिल्मों से भी प्रेरित होते हैं। खरीदारों और विक्रेताओं के बीच गहरे संवाद से भरोसा बढऩे के साथ ग्राहकों की वफादारी भी बनती है। मिसाल के तौर पर जब नए उत्पादों के इस्तेमाल के तरीकों को दिखाया जाता है तब संभावित ग्राहक उनके साथ लाइव चैट कर सकते हैं और उसके फिट होने और उसके स्टाइल से जुड़े सवाल भी पूछ सकते हैं। लाइव चैट से भरोसा बनता है और खरीदारी का अनुभव वनिला ई-कॉमर्स लेनदेन की तुलना में अधिक मनोरंजक होता है। बीओएफए ग्लोबल रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये स्टार्टअप देश के गैर अंग्रेजी भाषी ग्राहकों को लक्षित करते हैं जिनकी तादाद करीब 1 अरब है। इस बड़े समूह के लोगों की प्रति व्यक्ति आमदनी मध्यम आय वर्ग और उच्च वर्ग की तुलना में कम है। इसलिए इस श्रेणी के लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाली कंपनियों के पास विभिन्न उत्पादों और मार्केटिंग रणनीतियों की जरूरत है। बीओएफए के अनुसार पिरामिड में तीन स्तर होते हैं। मसलन उच्च आय वाले उपयोगकर्ता जिनकी तादाद 10 करोड़ (कामकाजी आबादी का 2.5 करोड़) है। सोशल कॉमर्स खिलाड़ी अगली 10 करोड़ आबादी (कार्यबल का 2.5 करोड़) को लक्षित करते हैं। वे अंग्रेजी समझते हैं लेकिन इस भाषा के साथ सहज नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर के पास स्मार्टफोन हैं और वे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं लेकिन ऑनलाइन ज्यादा खरीदारी नहीं करते। इसके बाद निम्न आय वर्ग है जहां विज्ञापन आधारित मॉडल ही प्राथमिक तरीका है।
ई-कॉमर्स को लेकर खूब चर्चाओं के बावजूद देश में लगभग 12 करोड़ ई-कॉमर्स खरीदार हैं जिनमें से केवल आधे ही सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। हालांकि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की तादाद 30 करोड़ से अधिक है जबकि मोबाइल उपयोगकर्ता 1.2 अरब हैं। इनमें से करीब 50 करोड़ स्मार्ट फोन पर हैं। सबसे लोकप्रिय मेसेजिंग वेबसाइटों में से एक व्हाट्सऐप के 40 करोड़ से अधिक ग्राहक हैं। सोशल और लाइव कॉमर्स कंपनियां इस बड़े बाजार की संभावनाओं को खंगालने की कोशिश में हैं ताकि मझोले और छोटे शहरों में ई-कॉमर्स के अपेक्षाकृत कम इस्तेमाल को पाटने की कोशिश की जा सके।
