राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 के ताजा आंकड़े दर्शाते हैं कि देश में चार भारतीयों में से एक मोटापे से ग्रस्त है। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं का वजन काफी बढ़ा है और यह 21 प्रतिशत से 24 प्रतिशत तक हो गया है जबकि पुरुषों में यह 19 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया है। मोटापे की समस्या काफी चिंताजनक हो गई है क्योंकि इसकी वजह से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, लीवर से संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं और इससे हृदयाघात का खतरा भी बढ़ा है। डॉक्टर भी इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि देश में मोटे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में अतिरिक्त निदेशक (गैस्ट्रोइनटेस्टिनल और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी) वी एस चौहान का कहना है, ‘भारत में लगभग 25 प्रतिशत पुरुष और महिलाओं का वजन अधिक है। यह बेहद चिंताजनक स्थिति है कि युवा इस शहरी महामारी से ग्रस्त हो रहे हैं।’
केरल, अंडमान एवं निकोबार द्वीप, आंध्र प्रदेश, गोवा, सिक्किम, मणिपुर, दिल्ली, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी, पंजाब, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप में एक तिहाई से अधिक औरतों (34-46 फीसदी) का वजन काफी ज्यादा है। शहरी इलाकों के मुकाबले (13 फीसदी) ग्रामीण क्षेत्रों में (21 फीसदी) दुबली-पतली महिलाओं का अनुपात ज्यादा है। वहीं मोटापे के लिहाज से यह रुझान उलटा देखा जाता है यानी मोटापे की दर शहरी क्षेत्रों में 33 फीसदी जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 20 फीसदी है।
परिवारों की संपत्ति में वृद्धि होने दुबली-पतली महिलाओं के अनुपात में भी धीरे-धीरे कमी आई है जिसकी वजह से मोटी औरतों के अनुपात में तेजी देखी जा रही है। झारखंड और बिहार (प्रत्येक में 26 प्रतिशत) में पतली महिलाओं का अनुपात ज्यादा है और इसके बाद गुजरात, दादरा एवं नागर हवेली तथा दमन व दीव (प्रत्येक में 25 प्रतिशत) का स्थान आता है।
मोटी महिलाओं का सबसे ज्यादा अनुपात पुदुच्चेरी (46 प्रतिशत), चंडीगढ़ (44 प्रतिशत), दिल्ली, तमिलनाडु और पंजाब (41 प्रतिशत प्रत्येक में) और केरल तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप (प्रत्येक में 38 फीसदी) में पाया जाता है।
शहरी क्षेत्रों के मुकाबले (13 फीसदी) ग्रामीण क्षेत्रों में (18 प्रतिशत) दुबले पुरुषों का अनुपात अधिक है जबकि ग्रामीण क्षेत्र की 19 फीसदी तादाद की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक वजन वाले पुरुषों की संख्या 30 प्रतिशत तक है। संपत्ति की दर बढऩे के साथ ही दुबले पुरुषों की संख्या में कमी आई और अधिक वजन वाले पुरुषों के अनुपात में बढ़ोतरी हुई। दुबले-पतले पुरुषों का अनुपात बिहार में (22 फीसदी) सबसे ज्यादा है और इसके बाद मध्य प्रदेश एवं गुजरात (प्रत्येक में 21 फीसदी) का स्थान है। सबसे ज्यादा वजन वाले पुरुषों का अनुपात अंडमान एवं निकोबार द्वीप (45 फीसदी) में है और इसके बाद पुदुच्चेरी (43 फीसदी) और लक्षद्वीप (41 फीसदी) में है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों के बौने होने के स्तर में कमी आई है और यह पिछले चार सालों में 38 फीसदी से कम होकर 36 फीसदी तक हो गया है। इसमें कहा गया है, ‘वर्ष 2019-21 में शहरी क्षेत्रों (30 फीसदी) के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में (37 फीसदी) बौना होने या वृद्धि रुकने की दर अधिक है। लंबाई में वृद्धि की दर में अंतर पुद्दुचेरी (20 प्रतिशत) में सबसे कम और मेघालय (47 फीसदी) में सबसे ज्यादा है। हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और सिक्किम (7 फीसदी), झारखंड, मध्य प्रदेश और मणिपुर (6 फीसदी प्रत्येक) और चंडीगढ़ एवं बिहार (5 प्रतिशत प्रत्येक) में बौनेपन की दर में कमी देखी गई।’