आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक सहित कई राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन और दवा नियंत्रकों ने गुरुवार को मिलावटी कफ सिरप विवाद पर सख्त कार्रवाई करना शुरू कर दिया है।
आंध्र प्रदेश ने अलर्ट जारी कर कहा है कि कोई भी उत्पाद, जिसमें पॉलिप्रोपिलीन ग्लाइकॉल मिला होगा, उसकी बिक्री अभी के लिए रोक दी गई है। यह विलायक अभी विवाद में चल रहा है।
गुजरात ने फील्ड अधिकारियों को विशेष रूप से कफ सिरप और लिक्विड फॉर्म्यूलेशन की जांच करने के लिए अलर्ट भेजा है जिसमें ग्लिसरीन और प्रोपिलीन ग्लाइकोल जैसे तत्त्व मिले हुए हैं। महाराष्ट्र एफडीए ने मेडन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाए गए सभी लिक्विड फॉर्म्यूलेशन को वापस बुला लिया है जो बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कर्नाटक ने सभी दवा निर्माताओं को ग्लिसरीन और प्रोपिलीन ग्लाइकोल के नमूनों का परीक्षण करने और सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक दिन पहले ही यह पुष्टि की गई थी कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और हरियाणा के राज्य दवा नियंत्रक ने सोनीपत में मेडन फार्मास्युटिकल्स की सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दिया है। इसके बाद राज्यों का यह निर्णय आना शुरू हो गया है।
आंध्र प्रदेश के औषधि नियंत्रण प्रशासन (डीसीए) के महानिदेशक एस रविशंकर नारायण ने कहा कि प्रशासन ने अपने सभी अधिकारियों को अलर्ट जारी किया है कि कोई भी विशेष विलायक (प्रोपिलीन ग्लाइकोल) का उपयोग न कर सके। इस अलर्ट के बाद इसकी बिक्री में भी रोक लगा दी गई है।
बुधवार को केरल ने भी मेडन फार्मास्युटिकल्स के सभी उत्पादों की बिक्री रोक दी थी। नारायण ने कहा कि आंध्र प्रदेश में मेडन फार्मास्युटिकल्स का कोई भी उत्पाद नहीं बेचा जा रहा है।
महाराष्ट्र एफडीए ने मेडन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाए गए सभी लिक्विड फॉर्म्यूलेशन को वापस बुला लिया है जो बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं। कथित तौर पर कंपनी द्वारा निर्मित कफ सिरप पीने से गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद मेडन फार्मा काफी चर्चा और निगरानी में आ गई है।
महाराष्ट्र खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने फील्ड अधिकारियों और दवा निरीक्षकों को सभी कफ सिरप निर्माताओं की निर्माण प्रक्रियाओं का निरीक्षण करने के लिए कहा है ताकि यह आकलन किया जा सके कि वे इंडस्ट्रियल ग्रेड सॉल्वेंट्स या फार्मास्युटिकल ग्रेड सॉल्वेंट्स का उपयोग करते हैं या नहीं।
महाराष्ट्र में लगभग 250 कफ सिरप बनाने वाली इकाइयां हैं। जो भी इकाई फार्मा-ग्रेड सॉल्वेंट्स के बजाय औद्योगिक ग्रेड के सॉल्वेंट का उपयोग करेगी, उसे दंडित किया जाएगा। इस बीच, गुजरात खाद्य एवं औषधि नियंत्रण प्रशासन ने कहा कि वे गैर-मानक गुणवत्ता के लिए नियमित रूप से बाजार में जाकर नमूनों की जांच कर रहे हैं।
उन्होंने फील्ड अधिकारियों को विशेष रूप से ऐसे कफ सिरप और लिक्विड फॉम् र्यूलेशन की जांच करने के लिए अलर्ट भेजा है जिनमें ग्लिसरीन और प्रोपिलीन ग्लाइकोल जैसे तत्व होते हैं। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान अगर कोई भी ब्रांड में मिलावट देखी गई तो उसे बनाने वाली कंपनी की जांच की जाएगी।
यह विवाद तब सामने आया जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि वह गाम्बिया में बच्चों की मौत के बाद सहायता प्रदान कर रहे हैं। इसने मेडन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित दवाओं पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा था कि बच्चों ने कंपनी द्वारा निर्मित कफ सिरप का सेवन किया था, जिसमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकोल मिले हुए थे।