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UP के ज्यादातर जिलों से रूठा मानसून! आधे जिलों में सूखे जैसे हालात

सिंचाई विभाग का कहना है कि जुलाई के आखिर तक प्रदेश के 71 बड़े जलाशयों में कुल क्षमता का महज 26.33 फीसदी पानी रह गया है।

Last Updated- August 04, 2023 | 8:28 PM IST
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जुलाई में जोरदार शुरुआत के बाद अब बीते दो सप्ताह से उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों से मानसून रूठ गया है। बीते दो सालों की सामान्य बारिश के बाद इस साल उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड सूखे की चपेट में है।

मानसून के शुरुआती दिनों में मामूली बारिश के बाद समूचा बुंदेलखंड पानी के लिए तरस रहा है। केंद्र सरकार ने बुंदेलखंड के पांच जिलों बांदा, चित्रकूट, झांसी, जालौन और महोबा को 100 करोड़ रुपये की सहायता देने का फैसला किया है।

पूर्वी जिलों में मानसून की बेरुखी का असर सबसे ज्यादा

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के अलावा पूर्वी जिलों में मानसून की बेरुखी का असर सबसे ज्यादा दिखायी दे रहा है जहां जुलाई के महीने में सामान्य से 64.8 फीसदी बारिश ही हुयी है। संतकबीरनगर, मिर्जापुर, कौशांबी, देवरिया, मऊ और कौशांबी जिलों में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं जहां सामान्य से 60 से लेकर 99 फीसदी तक कम पानी बरसा है।

कम बरसात से प्रदेश के प्रमुख जलाशयों का स्तर भी घट गया है। सिंचाई विभाग का कहना है कि जुलाई के आखिर तक प्रदेश के 71 बड़े जलाशयों में कुल क्षमता का महज 26.33 फीसदी पानी रह गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुयी बैठक

प्रदेश में सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुयी बैठक में अधिकारियों ने बताया कि 33 जिलों में सामान्य से 59 फीसदी तक वर्षा रिकार्ड किया गया है वहीं पीलीभीत, सहित पूर्वांचल के सात जिलों में तो 99 फीसदी तक कम बारिश हुयी है।

मानसून की हालात को देखते हुए अब हर 15 दिन में स्थिति की समीक्षा की जाएगा और फिर प्रदेश में सूखा घोषित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। राहत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तीन चार सप्ताह तक सामान्य से 50 फीसदी कम बारिश होने पर सूखा घोषित किया जाता है।

हालांकि पूरे प्रदेश में जुलाई के महीने में 281.2 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गयी है जोकि कि सामान्य का 84.3 फीसदी है। पश्चिमी जिलों में तो सामान्य से 118.3 फीसदी तक बारिश रिकॉर्ड की गयी है पर पूर्वी जिलों व बुंदेलखंड में हालात ज्यादा खराब हैं। जुलाई की शुरुआत में हुयी अच्छी बारिश के चलते धान की बोआई का सिलसिला तेज हुआ था जो अब थमने लगा है।

पछैती धान की बुआई पर पड़ेगा असर 

प्रदेश सरकार ने इस बार 58.50 लाख हेक्टेयर धान बोआई का लक्ष्य रखा था जबकि जुलाई के महीने में 50.35 लाख हेक्टेयर में बुआई की जा सकी है। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि अब बारिश का हाल देखते हुए पछैती धान की बुआई पर असर पड़ेगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में मक्के की फसल के बाद धान की बोआई की जाती है जो प्रभावित होगी।

सूखे के हालात की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कुछ हिस्सों को छोड़कर ज्यादातर जिलों में गत वर्ष की तरह इस बार भी बारिश असामान्य है और इसमे निरंतरता नहीं है। ऐसे में किसानों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी किसानों के खेत में हर हाल में पानी पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री जी ने इसके लिए नदियों को चैनेलाइज करते हुए नहरों की टेल तक पानी पहुंचाए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।

First Published - August 4, 2023 | 8:28 PM IST

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