अपनी मांगों को लेकर किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। वे दो साल पहले तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान किसानों पर किए गए मुकदमों की वापसी और एमएसपी की कानूनी गारंटी जैसी मांगों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तरफ कूच करने की योजना बना रहे हैं। अब सभी की नजरें किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच सोमवार को चंडीगढ़ में होने वाली दूसरे दौर की बैठक पर टिकी हैं। इस बीच, पंजाब-हरियाणा की सीमाओं को सील कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लगती दिल्ली की सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई है।
किसानों और केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के बीच पहले दौर की बैठक बेनतीजा रही, क्योंकि इस बैठक में मंत्रियों ने किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए और समय मांगा था। बैठक में पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया था।
इस बार प्रदर्शन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम- अराजनीतिक) द्वारा किया जा रहा है जो असली एसकेएम से अलग होकर बना है। एसकेएम ने दो साल पहले तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर दो साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल दिया था।
एसकेएम- अराजनीतिक के प्रवक्ता और प्रमुख किसान नेता अभिमन्यु कोहार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सोमवार को चंडीगढ़ में शाम 5 बजे सरकार के साथ दूसरे चक्र की बातचीत होनी है, लेकिन 13 फरवरी को ‘दिल्ली चलो मार्च’ के लिए हमारी पूरी तैयारी है। दिल्ली कूच के लिए हजारों ट्रैक्टर तैयार खड़े हैं।’
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों में भय का माहौल पैदा करने के लिए जबरदस्त सख्ती बरतनी शुरू कर दी है, लेकिन इस बार किसान पूरी तरह अटल हैं।
हरियाणा सरकार ने पंजाब और दिल्ली से लगती राज्य की सीमाएं सील कर दी हैं। प्रदर्शनकारी किसानों के गुजरने वाली संभावित सड़कों पर कांटेदार बाड़, सीमेंट के बड़े-बड़े स्लैब रखने के साथ-साथ दंगा-रोधी वाहन, वाटर कैनन और वज्र तैनात कर दिए गए हैं।
किसानों को बैरिकेड तोड़ कर आगे बढ़ने से रोकने के लिए घग्गर फ्लाईओवर के पास सड़कों के दोनों ओर लोहे की शीट खड़ी कर दी गई हैं। यही नहीं, घग्गर नदी की खुदाई कर गहरा कर दिया गया है। किसान पानी से होकर गुजर रहे हैं।
किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने जींद और फतेहाबाद जिलों में भी पंजाब से लगी सीमा पर सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए हैं। फतेहाबाद के जाखल क्षेत्र में तो सीमेंट के बैरिकेड रखने के साथ-साथ सड़कों पर कीलें गाड़ दी गई हैं। जिले के टोहाना में प्रशासन ने रेत भरे कंटेनर सड़कों पर खड़े कर दिए हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को बताया कि जींद में हरियाणा-पंजाब सीमा पर दो सड़कों पर यातायात पूरी तरह रोक दिया गया है। हरियाणा सरकार ने अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जैसे जिलों में 11 से 13 फरवरी तक मोबाइल नेटवर्क बंद करने का ऐलान किया है।
केंद्र सरकार ने मांगों पर बातचीत करने के लिए किसानों के साथ 12 फरवरी को एक और बैठक बुलाई है। पुलिस ने यातायात परामर्श जारी कर प्रतिबंधित मार्गों से नहीं गुजरने की अपील है। साथ ही वह दिल्ली कूच में शामिल नहीं होने के लिए लगातार गांवों के सरपंचों के साथ बैठकें कर रही है।
एसकेएम- अराजनीतिक के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने किसानों को रोकने के लिए हरियाणा सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा, ‘हम बातचीत के लिए तैयार हैं। हम चर्चा से कभी नहीं भागते।’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दो साल पहले हुए प्रदर्शन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने का वादा किया था।
इसके अलावा उसने किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात भी कही थी। मांगें पूरी नहीं होने पर ही किसान दोबारा दिल्ली की तरफ कूच करने के लिए मजबूर हुए हैं। डल्लेवाल ने एक वीडियो संदेश में कहा कि यदि हालात खराब होते हैं,तो इसके लिए हरियाणा की खट्टर सरकार जिम्मेदार होगी।
एमएसपी के साथ-साथ किसान स्वामीनाथन सिफारिशें लागू करने, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, ऋण माफी, मुकदमे वापसी और लखीमपुर खीरी के पीडि़तों को इंसाफ दिलाने की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2020 में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने दिल्ली सीमाओं पर एक साल से अधिक समय तक प्रदर्शन किया था।
(साथ में एजेंसियां)