इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इन्साकॉग) ने स्पष्ट किया है कि उसने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में तीसरी खुराक (बूस्टर डोज) का सुझाव नहीं दिया है और न ही ऐसी कोई सिफारिश की है। इन्साकॉग ने यह भी कहा कि टीके, उन्हें लगाने की समय सारिणी एवं उनका क्रियान्वयन टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) और वैक्सीन एडमिनिस्ट्रिेशन फॉर कोविड-19 (एनईजीवीएसी) पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह की सलाह पर आधारित हैं।
इन्साकॉग ने हाल में अपने न्यूजलेटर में कहा है कि सार्स-कोव-2 से सुरक्षा एवं इसके खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता कई कारकों पर निर्भर करती है। उसने कहा कि कई अज्ञात कारण एवं इस वायरस के नए स्वरूप महामारी को और पेचीदा बना देते हैं। इन्साकॉग ने कहा, ‘बूस्टर डोज का प्रभाव समझने के लिए कई और वैज्ञानिक परीक्षणों की आवश्यकता है। एनटीएजीआई और एनईजीवीएसी इन परीक्षणों पर नजर रखते हैं।’
इन्साकॉग ने कहा कि जिन लोगों को कोविड-19 संक्रमण से अधिक खतरा है उन्हें अतिरिक्त खुराक लगाने पर चर्चा चल रही है। उसने कहा कि दक्षिण अफ्रीका और इसके पड़ोसी देशों में ऐसे तथ्य सामने आए हैं कि कोविड-19 का नया स्वरूप कोविड संक्रमण एवं टीका लगने के बाद शरीर में विकसित हुई प्रतिरोधी क्षमता को भेद सकता है। भारत में ओमीक्रोन संक्रमण के अब तक 23 मामले पाए गए हैं।
इन्साकॉग ने 23 नवंबर को अपने न्यूजलेटर में कहा था कि संक्रमण की अधिक आशंका वाले जिन लोगों को टीके नहीं लगे हैं उन्हें टीके लगाने और 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को तीसरी खुराक लगाने के विकल्प पर विचार किया जा सकता है। इन्साकॉग ने कहा था, ‘ऐसा लगता है कि मौजूदा टीकों से बनी प्रतिरोधी क्षमता ओमीक्रोन से निपटने में प्रभावी नहीं हो सकती है। हालांकि गंभीर संक्रमण का खतरा तब भी कम हो जाएगा।’
सेामवार को एनटीएजीआई की बैठक में बूस्टर डोज पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। ऐसी खबरें आई कि समिति के सदस्य बूस्टर डोज पर अलग-अलग राय रख रहे थे। कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन के खतरे के बाद बूस्टर डोज को लेकर चर्चा तेज हो गई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ओमीक्रोन को ‘वैरिएंट ऑफ कन्सर्न’ करार दिया है। ओमीक्रोन अफ्रीका महादेश के दक्षिणी हिस्से से अब तक दुनिया के 35 देशों में पहुंच चुका है। इस नए स्वरूप को लेकर अब तक जो जानकारियां उपलब्ध हैं उनके अनुसार यह डेल्टा स्वरूप से संभवत: अधिक तेजी से लोगों को संक्रमित कर सकता है। इन्साकॉग ने कहा कि इस बात के अब तक अधिक प्रमाण नहीं मिले हैं कि डेल्टा की तुलना में ओमीक्रोन संक्रमण की गंभीरता अलग होगी। मगर ओमीक्रोन से प्रभावित देशों में अस्पतालों में मरीजों के आने की दर बढऩे की पृष्ठभमि में यह कहना जल्दबाजी होगी कि ओमीक्रोन डेल्टा स्वरूप की तुलना में कम घातक होगा।
दवाओं का स्टॉक रखें राज्य
केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे कोविड-19 के उपचार के लिए निर्धारित आठ महत्त्वपूर्ण दवाओं का पर्याप्त बफर स्टॉक बनाए रखें और तुरंत समीक्षा करें कि ऑक्सीजन के सभी संयंत्र, कन्संट्रेटर और वेंटिलेटर व्यवस्थित हैं तथा काम कर रहे हैं। ओमीक्रोन स्वरूप की चिंता के संबंध में आपात स्थिति के मद्देनजर गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की राज्यों के साथ आयोजित एक बैठक में सरकार ने राज्यों से कहा कि केंद्र द्वारा आपूर्ति किए गए कई वेंटिलेटर अब भी कुछ अस्थायी अस्पतालों में बिना पैकिंग और बिना इस्तेमाल के पड़े हुए हैं। स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों से पूरी पात्र आबादी का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए चल रहे हर घर दस्तक अभियान पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोविड-19 के राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के दायरे और रफ्तार को जारी रखने के लिए भी कहा है।
