facebookmetapixel
Share Market Today: साल 2025 के आखिरी कारोबारी दिन कैसी रहेगी बाजार का चाल? GIFT निफ्टी सपाट; एशियाई बाजारों में गिरावटStocks To Watch Today: डील, डिमांड और डिफेंस ऑर्डर, आज इन शेयरों पर रहेगी बाजार की नजरघने कोहरे की मार: दिल्ली समेत पूरे उतरी क्षेत्र में 180 से अधिक उड़ानें रद्द, सैकड़ों विमान देरी से संचालितनए साल पर होटलों में अंतिम समय की बुकिंग बढ़ी, पर फूड डिलिवरी करने वाले गिग वर्कर्स के हड़ताल से दबावबांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, विदेश मंत्री एस जयशंकर ढाका जाएंगे अंतिम संस्कार मेंकमजोर गर्मी-लंबे मॉनसून के चलते 2025 में सुस्त रहा उपभोक्ता टिकाऊ सामान बाजार, पर GST कटौती से राहत‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बदला देश का सुरक्षा सिद्धांत, अब सीधे वार के लिए भारत तैयारउम्मीदों पर सवार ग्रामीण अर्थव्यवस्था! GST राहत और बढ़ी खपत ने संवारा, आय को लेकर उम्मीदें मजबूतMapmyIndia के मैपल्स ऐप में मेट्रो, रेल व बस रूट जुड़े, पब्लिक ट्रांसपोर्ट हुआ और आसान31 दिसंबर की गिग कर्मियों की हड़ताल से क्विक कॉमर्स पर संकट, जोमैटो-स्विगी अलर्ट मोड में

शी चिनफिंग का शामिल नहीं होना असामान्य नहीं: एस जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि जी-20 ‘बहुत हद तक एक सहयोगी मंच’ है और यह ‘सत्ता की राजनीति का क्षेत्र नहीं है’।

Last Updated- September 06, 2023 | 11:16 PM IST
Peace and prosperity in Mekong region play pivotal role in India's Act East policy: EAM Jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग का इस सप्ताह नई दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होना कोई असामान्य बात नहीं है और इससे बैठक में आम सहमति बनाने के लिए होने वाली बातचीत प्रभावित नहीं होगी।

उन्होंने एक समाचार एजेंसी को बताया कि दुनिया के सबसे अमीर देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन ‘बेहद अशांत’ वैश्विक वातावरण की पृष्ठभूमि में आयोजित किया जा रहा है और दुनिया की कुछ बड़ी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए जी-20 से उम्मीदें ‘बहुत अधिक’ हैं।

जयशंकर ने साक्षात्कार में कहा कि जी-20 सदस्यों के शेरपा या देश के प्रतिनिधि आम सहमति बनाने और नई दिल्ली के शिखर सम्मेलन में एक आधिकारिक घोषणा करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की इस धमकी को भी तवज्जो नहीं दी कि रूस शिखर सम्मेलन की अंतिम घोषणा को तब तक रोकेगा जब तक कि यह यूक्रेन और अन्य संकटपूर्ण स्थिति पर रूस की स्थिति को नहीं बयां करता है।

लावरोव इस शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की जगह रूस का प्रतिनिधित्व करेंगे। उन्होंने कहा कि देश अपनी बातचीत को अधिक तवज्जो देने की कोशिश करते हैं और ऐसे में लोगों को परिणाम को लेकर कोई ‘पूर्वग्रह’ नहीं बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि दिल्ली आने वाले जी-20 देशों में से हर एक अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे कि दुनिया के बाकी 180 देश दिशानिर्देश तय करने के लिए उनकी ओर देख रहे हैं और वे उन्हें विफल करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।’

जयशंकर ने कहा कि जी-20 ‘बहुत हद तक एक सहयोगी मंच’ है और यह ‘सत्ता की राजनीति का क्षेत्र नहीं है’। उन्होंने कहा, ‘आज दुनिया की उम्मीदें जी-20 को लेकर बहुत ज्यादा हैं कि आखिर जी-20 दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिहाज से क्या करने में सक्षम है।’

गहरे विभाजन

जी-20 दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है लेकिन यूक्रेन में युद्ध से जुड़े मतभेदों के कारण विभाजित दिख रहा है। विश्लेषकों और अधिकारियों का कहना है कि पुतिन और शी की अनुपस्थिति के साथ-साथ युद्ध पर मतभेद का मतलब यह है कि शिखर सम्मेलन में आम सहमति से घोषणापत्र जारी करना मुश्किल होगा। जयशंकर ने कहा कि पहले भी कुछ देशों के नेताओं ने शिखर सम्मेलनों में हिस्सा नहीं लिया था और शी की अनुपस्थिति असामान्य नहीं है और इसका भारत से भी कोई लेना-देना नहीं है।

जून 2020 में हिमालय क्षेत्र की सीमा पर घातक सैन्य झड़प के बाद से भारत-चीन संबंधों में गर्मजोशी नहीं है और विश्लेषकों का कहना है कि शी का शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होना एशिया के प्रमुख देशों के बीच संबंधों के लिहाज से एक नया झटका है।

ऑस्ट्रेलियन नैशनल यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान विशेषज्ञ वेन-ती सुंग ने कहा कि शी की अनुपस्थिति, ‘पूर्व का उभार हो रहा है और पश्चिम पतन की ओर है’ उनके इस कथ्य का भी संकेत हो सकता है और इसके साथ ही पुतिन के साथ एकजुटता दिखाना भी अहम है।

शिखर सम्मेलन में चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली छ्यांग करेंगे और जयशंकर ने कहा कि किसी भी देश का रुख इस बात से स्पष्ट रूप होता है कि कोई भी प्रतिनिधि हो।’ जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा है कि उन्हें डिजिटल मुद्दों और खाद्य सुरक्षा पर चर्चा की उम्मीद है। भारत ने कहा है कि क्रिप्टो संपत्तियों के नियमन के लिए एक वैश्विक ढांचे पर चर्चा चल रही है।

First Published - September 6, 2023 | 11:16 PM IST

संबंधित पोस्ट