पिछले 5 वर्षों के दौरान 60 फीसदी से अधिक परिवारों और फर्मों को मौसम की अति से जूझना पड़ा है। विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट में इसका खुलासा करते हुए कहा गया है कि अगले दशक में 75 फीसदी से अधिक परिवारों एवं फर्मों को चरम मौसम की चपेट में आने की आशंका है।
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट ‘फ्रॉम रिस्क टू रेजिलिएंस: हेल्पिंग पीपल ऐंड फर्म्स अडैप्ट इन साउथ एशिया’ में आगाह किया है कि दक्षिण एशिया में मौसम के चरम या अति की स्थितियां तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में करीब 90 फीसदी आबादी को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2030 तक हर पांच में से एक से अधिक लोगों के लिए गंभीर बाढ़ का खतरा पैदा होने की आशंका है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र को अगले दशक में अक्सर गंभीर मौसमी झटकों का भी सामना करना पड़ेगा। अनुमान है कि 2030 तक 1.8 अरब लोग (इस क्षेत्र की 89 फीसदी आबादी) भीषण गर्मी की चपेट में होंगे और 46.2 करोड़ लोग (22 फीसदी) गंभीर बाढ़ की चपेट में होंगे।
दक्षिण एशिया में गरीब एवं कृषि पर निर्भर परिवारों पर मौसम की मार पड़ने का अधिक खतरा है। इसी तबके के लोग मौसम की चरम स्थितियों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। मौसम की मार पड़ने से मानव पूंजी और संपत्ति को नुकसान होता है। इससे लोगों की आय भी प्रभावित होती है।
पहले से आगाह किए जाने के बाद करीब 90 फीसदी परिवार संभावित नुकसान को कम करने के लिए उपाय कर सकते हैं। मगर रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्व चेतावनी देने वाली प्रणालियां सभी परिवारों के लिए एकसमान उपलब्ध नहीं हैं। जोखिम भरे तटीय और नदी घाटी इलाकों में अधिकतर परिवारों को चक्रवातों की चेतावनी पहले ही जारी की जाती है, लेकिन उनमें से आधे से भी कम परिवारों को बाढ़ अथवा अन्य मौसमी झटकों की पूर्व चेतावनी मिल पाती है।
कई परिवार और कंपनियां जलवायु संबंधी जोखिम से निपटने के लिए कदम उठा रहे हैं। करीब 80 फीसदी परिवारों और 63 फीसदी फर्मों ने मौसम के अनुकूल उपाय किए हैं। मगर अधिकतर उपाय बुनियादी हैं जैसे घर की नींव ऊपर उठाना या पंखे लगाना।
विश्व बैंक के उपाध्यक्ष (दक्षिण एशिया) मार्टिन रेजर ने कहा, ‘जल्द से जल्द पहल करने की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। लोग और कंपनियां पहले से ही उपाय कर रहे हैं मगर वे सीमित संसाधनों के साथ ऐसा कर रहे हैं। इसलिए सरकार को प्रभावी उपायों की राह में मौजूद बाधाओं को तुरंत हटाना चाहिए।’
रिपोर्ट में तीन प्रमुख सिद्धांतों के आधार पर नीतिगत उपाय करने का भी आह्वान किया गया है। जिसमें मौसम के अनुकूल उपायों को एक व्यापक पैकेज के तहत लागू किया जाए।