G-20 की बैठक में हिस्सा लेने भारत आईं अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने आज कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस पर और प्रतिबंध लगाने की संभावना तलाश रहे हैं। G-20 में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों (FMCBG) की बैठक से इतर येलेन ने कहा, ‘हम रूस पर और पाबंदियां लगाने के लिए अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर कर करेंगे।’
जेनेट के बयान का G-7 के अन्य सदस्यों कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान तथा ब्रिटेन ने भी किया।
जापान के वित्त मंत्री सुनिची सुजूकी ने G-7 देशों की ओर से कहा, ‘हम रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के असर पर करीबी नजर रख रहे हैं और जरूरत पड़ने पर आगे और भी पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। हम अपने प्रतिबंधों के प्रभावी प्रवर्तन के लिए अपने भागीदार देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और प्रतिबंधों के बचने के किसी भी प्रयास को रोकने के भी उपाय कर रहे हैं। हम अन्य देशों को भी रूस पर लगाए गए हमारे प्रतिबंध को लागू करने का आह्वान करते हैं।’
G-7 देशों द्वारा रूस के खिलाफ और प्रतिबंध लगाने पर जोर देने के साथ FMCBG की बैठक के अंत में जारी की जाने वाली आधिकारिक विज्ञप्ति की भाषा को लेकर भारत तथा कुछ अन्य जी-20 भागीदारों के साथ मतभेदों को दूर किया जा रहा है।
जानकार सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत विज्ञप्ति में ‘युद्ध’ शब्द के इस्तेमाल का विरोध किया है लेकिन ‘संकट’ जैसे नरम शब्द G-7 सदस्यों जो G-20 के भी सदस्य हैं, को संभवत: स्वीकार्य नहीं है।
जी 7 राष्ट्रों ने यूक्रेन की मदद के लिए 2023 में अतिरिक्त 39 अरब डॉलर की सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है। येलेन ने कहा कि आने वाले महीनों में 10 अरब डॉलर की सहायता देगा।
येलेन ने कहा, ‘रूस की अर्थव्यवस्था अलग-थलग पड़ गई है। अनुमान के मुताबिक बीते एक साल में करीब 10 लाख रूसी देश छोड़कर जा चुके हैं। इससे आने वाले समय में रूस की उत्पादन क्षमता पर प्रतिकूल दबाव पड़ेगा।’
येलेन का यह बयान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के यूक्रेन की यात्रा के कुछ दिन बाद आया है। अपने बयान में येलेन ने 16 बार रूस का नाम लिया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए यूक्रेन में पूरी तरह वित्तपोषित कार्यक्रम को सुगमता से चलाना महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘भारत में मेरी यात्रा के दौरान यूक्रेन के लिए निरंतर, मजबूत समर्थन के लिए चर्चा प्रमुख विषय होगा।’ येलेन ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि उभरते बाजार रूस से सस्ते तेल के लिए काफी मोलभाव कर रहे हैं, इससे वैश्विक बाजार में तेल की आपूर्ति बढ़ी है लेकिन रूस की हिस्सेदारी इसमें कम हुई है।’
और यही विज्ञप्ति की भाषा को लेकर जी 20 राष्ट्रों के बीच मतभेद की मूल वजह है। रूस के तेल का आयात जनवरी में रिकॉर्ड 14 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया, जो दिसंबर की तुलना में 9.2 फीसदी अधिक है। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक भारत को भी मासिक तेल आपूर्ति के मामले में रूस शीर्ष पर पहुंच गया है। पिछले महीने भारत में 50 लाख बैरल प्रतिदिन तेल का आयात हुआ जिसमें रूस की हिस्सेदारी करीब 27 फीसदी रही।
जैसा कि बिज़नेस स्टैंडर्ड ने पहले खबर दी थी कि भारत बेंगलूरु में चर्चा के दौरान रूस पर और प्रतिबंध को लेकर चर्चा करने के लिए अनिच्छुक है।