इजराइल इस वक्त गाजा में हमास और पश्चिम एशिया में ईरान से लड़ाई में जुटा है। इन दोनों युद्धों का बोझ अब देश की अर्थव्यवस्था पर साफ दिखने लगा है। इजराइल की न्यूज वेबसाइट Calcalist के मुताबिक अकेले गाजा युद्ध का खर्च साल 2024 के आखिर तक 2.5 लाख करोड़ शेकेल यानी करीब 67 अरब डॉलर पार कर गया था। इसमें लड़ाई की सीधी लागत, नागरिकों को दी गई मदद और सरकार की राजस्व हानि शामिल है, लेकिन यह अब भी पूरी तस्वीर नहीं दिखाता क्योंकि अप्रत्यक्ष नुकसान जैसे उत्पादन में गिरावट और सप्लाई चेन टूटने को इसमें नहीं जोड़ा गया है।
ईरान पर इजराइल की सैन्य कार्रवाई की शुरुआत बहुत खर्चीली साबित हुई। Ynet News की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल सेना के पूर्व वित्तीय सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल रिटायर्ड रीएम अमीनाच ने बताया है कि पहले 48 घंटे में ही साढ़े पांच अरब शेकेल यानी करीब 1 अरब 45 करोड़ डॉलर खर्च हो गए। इसमें करीब 2 अरब शेकेल सिर्फ हवाई हमलों और गोला बारूद पर लगे। अब ईरान से चल रहे युद्ध में इजराइल हर दिन करीब 2 अरब 70 करोड़ शेकेल यानी लगभग छह हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। अकेले फ्यूल और हथियारों पर रोजाना 2500 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आ रहा है।
गाजा युद्ध के समय इजराइल ने तीन लाख से ज्यादा रिजर्व सैनिकों को बुलाया था। इजराइल के वित्त मंत्रालय के मुताबिक जब एक लाख सैनिक ड्यूटी पर होते हैं तो उनके वेतन और ज़रूरी इंतजामों पर हर दिन करीब 100 करोड़ शेकेल यानी 270 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। साथ ही कारोबार ठप होने से इतना ही नुकसान और जुड़ जाता है।
जनवरी से मई 2025 के बीच इजराइल की टैक्स अथॉरिटी ने बताया कि उनके मुआवजा फंड से ढाई अरब शेकेल यानी करीब 6500 करोड़ रुपये सिर्फ नागरिक संपत्तियों के नुकसान की भरपाई में दिए गए। कुल निकासी तीन अरब शेकेल पहुंच गई। यह खर्च सरकारी घाटे में दर्ज नहीं होता लेकिन इससे देश का कर्ज जरूर बढ़ रहा है। यह जानकारी भी Calcalist की रिपोर्ट में सामने आई।
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पिछले दो सालों में इजराइल का रक्षा बजट बहुत तेजी से बढ़ा है। Ynet News के मुताबिक, साल 2023 में यह 60 अरब शेकेल था जो 2024 में 99 अरब हुआ और 2025 में इसके 118 अरब शेकेल यानी करीब 31 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह अब इजराइल की कुल अर्थव्यवस्था का 7 प्रतिशत हो चुका है जो दुनिया में यूक्रेन के बाद सबसे ज्यादा है। जानकारों ने चेतावनी दी है कि अगर युद्ध जल्द नहीं रुका तो शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे जरूरी क्षेत्रों को भारी नुकसान हो सकता है।
The Jerusalem Post की रिपोर्ट बताती है कि इजराइल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष शाहर तुरजेमान ने उद्योग मंत्री निर बारकात से अपील की है कि इमरजेंसी के समय भी बाजार बंद न किए जाएं। उन्होंने कहा कि हर दिन की रुकावट से भारी नुकसान हो रहा है और लाखों लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ रहा है। इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि सरकार व्यापारी संगठनों से मिलकर रास्ता निकाल रही है ताकि अर्थव्यवस्था चलती रहे।
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जैसे जैसे तनाव बढ़ रहा है वैसे वैसे वैश्विक तेल सप्लाई पर भी खतरा बढ़ गया है। रॉयटर्स और ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया का एक तिहाई तेल समुद्र के रास्ते स्ट्रेट ऑफ होर्मुज से गुजरता है। यहां जरा सी रुकावट से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। शुरुआत में ही ब्रेंट क्रूड 74.5 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। उधर, ईरान अब भी चीन को भारी मात्रा में तेल भेज रहा है। ईरान के तेल मंत्री जावद ओवजी के मुताबिक 2023 में देश ने तेल से 35 अरब डॉलर की कमाई की।
इजराइल के वित्त मंत्रालय ने बताया है कि देश का बजट घाटा अब अर्थव्यवस्था के लगभग पांच प्रतिशत यानी करीब 27 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। गाजा युद्ध में इस्तेमाल हुआ आपातकालीन फंड अब लगभग खत्म हो चुका है। टैक्स से मिलने वाला पैसा थोड़ा बढ़ा है लेकिन देश की वृद्धि दर का अनुमान पहले 4.3 प्रतिशत था जिसे अब घटाकर 3.6 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी बीच नागेल कमेटी ने अगले 10 सालों में रक्षा प्रणाली को और मजबूत करने के लिए करीब 74 अरब डॉलर और खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।
The Washington Post की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इजराइल के पास मिसाइल रोकने वाली इंटरसेप्टर प्रणाली का स्टॉक तेजी से खत्म हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर अमेरिका ने तुरंत मदद नहीं भेजी तो इजराइल की रक्षा क्षमता सिर्फ 10 से 12 दिन तक ही टिक पाएगी। उधर, ईरान की सेना यानी आईआरजीसी ने दावा किया है कि उसने फत्ताह वन नाम की हाइपरसोनिक मिसाइल दागी है और अब वह कब्जे वाले इलाकों के ऊपर पूरी तरह हवाई नियंत्रण में है।