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US Fed अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने दी चेतावनी, Trump के टैरिफ से गर्मी में बढ़ सकती है महंगाई

पॉवेल ने कहा कि ब्याज दर को स्थिर बनाए रखना इसलिए जरूरी है ताकि वैश्विक संघर्षों और घरेलू नीतिगत बदलावों के बीच फेड समय पर सही कदम उठा सके।

Last Updated- June 19, 2025 | 10:58 AM IST
Fed Chair Jerome Powell
Representative Image

अमेरिका के फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की मौद्रिक नीति समिति (FOMC) ने इस साल चौथी बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने कहा कि मौजूदा हालात बेहद अनिश्चित हैं, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बदलती टैरिफ नीतियों के चलते।

पॉवेल ने कहा कि ब्याज दर को स्थिर बनाए रखना इसलिए जरूरी है ताकि वैश्विक संघर्षों और घरेलू नीतिगत बदलावों के बीच फेड समय पर सही कदम उठा सके।

उन्होंने चेताया कि आने वाले महीनों में सामानों की कीमतों में तेजी आ सकती है क्योंकि टैरिफ (शुल्क) का असर धीरे-धीरे सप्लाई चेन के जरिए बाजार तक पहुंचेगा। पॉवेल ने कहा, “आखिरकार इस टैरिफ की कीमत किसी न किसी को चुकानी होगी, और इसका कुछ हिस्सा आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा।” उन्होंने बताया कि कई रिटेलर अभी पुराने स्टॉक की बिक्री कर रहे हैं, लेकिन जल्द ही नया, टैरिफ से प्रभावित स्टॉक बाजार में आएगा।

पॉवेल ने बताया कि पर्सनल कंप्यूटर और ऑडियो-वीडियो उपकरणों की कीमतें पहले ही बढ़ने लगी हैं, और यही शुरुआत है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “टैरिफ का भुगतान किसी न किसी को करना ही होगा।”

ट्रेजरी ने उपभोक्ताओं की परेशानी को नकारा, राजस्व में रिकॉर्ड बढ़ोतरी का जिक्र किया

ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि आम लोगों पर महंगाई का असर बहुत मामूली रहेगा। अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने ‘पॉड फोर्स वन’ पॉडकास्ट पर बताया कि हालिया आंकड़ों में कीमतों में सिर्फ 0.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है और जो गंभीर चेतावनियां दी जा रही हैं, वे बेबुनियाद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि घंटों के हिसाब से काम करने वाले मजदूरों की आमदनी बढ़ी है।

हालांकि, कस्टम से होने वाली आय एक अलग तस्वीर दिखा रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेजरी को मई में रिकॉर्ड 23 अरब डॉलर का राजस्व मिला, जो पिछले साल की तुलना में चार गुना ज्यादा है। यह बढ़ोतरी अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए 25 फीसदी शुल्क और चीन से आने वाले सामानों पर ऊंची ड्यूटी के कारण हुई है।

इस बीच, फेडरल रिजर्व (Fed) ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन इस साल दो बार कटौती की उम्मीद जताई है। हालांकि, टैरिफ से बढ़ती कीमतें महंगाई के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जिससे भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की रफ्तार धीमी हो सकती है। मई में खुदरा महंगाई दर 2.4 फीसदी रही, जो फेड के 2 फीसदी के लक्ष्य से ज्यादा है, लेकिन पहले के अनुमानों से कम है।

फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि इस समय श्रम बाजार “मजबूत और स्थिर” बना हुआ है। नौकरियों का सृजन जारी है, भले ही इस्तीफे और खाली पदों की दर कुछ कम हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से कुछ नौकरियां जा सकती हैं, लेकिन नई नौकरियां भी पैदा होंगी।

राजनीतिक बयानबाज़ी तेज

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने फेडरल रिजर्व को बार-बार जल्दी कदम उठाने की सलाह दी है। 8 मई को उन्होंने एक पोस्ट में फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल पर तंज कसते हुए लिखा, “‘टू लेट’ जेरोम पॉवेल एक मूर्ख हैं, जिन्हें कुछ समझ नहीं है। बाकी सब ठीक है, मुझे वो पसंद हैं!” ट्रंप का तर्क था कि देश में महंगाई न के बराबर है और टैरिफ से मिलने वाला पैसा अमेरिका में आ रहा है।

जेरोम पॉवेल ने ट्रंप की आलोचनाओं को नजरअंदाज कर दिया। मई के अंत में ट्रंप से मुलाकात के बाद उन्होंने दोहराया कि फेड की नीतिगत फैसले निष्पक्ष, सावधानीपूर्वक और राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होकर लिए जाएंगे। जब बुधवार को उनसे फिर से ट्रंप के बयानों पर सवाल किया गया, तो उन्होंने जवाब दिया, “हमारे लिए सिर्फ यही मायने रखता है… और कुछ नहीं।”

आगे क्या? कीमतों पर नजर और राजनीति पर भी

फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा है कि अप्रैल में व्हाइट हाउस द्वारा चीन से आने वाले सामानों पर 145% तक के भारी टैरिफ की बात कहे जाने के बाद अब कुछ हद तक टैरिफ को लेकर चिंताएं कम हुई हैं। हालांकि, फेड का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार समझौते को दोबारा पटरी पर लाने के लिए अगले तीन हफ्तों में बातचीत हो सकती है।

पॉवेल ने चेताया है कि गर्मियों के मौसम में चीन से टैरिफ वाले नए सामान अमेरिका पहुंचने लगे हैं और इसका असर दिखने भी लगा है। आने वाले महीनों में इनका असर और ज्यादा दिखाई देगा।

अब सवाल यह है कि कीमतें कितनी बढ़ती हैं और आम लोग इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। इन दो बातों पर निर्भर करेगा कि ब्याज दरों में कटौती समय पर होगी या फिर उसे 2026 तक टालना पड़ेगा।

(रॉयटर्स इनपुट के साथ)

First Published - June 19, 2025 | 10:58 AM IST

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