पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष के बीच केंद्र सरकार ने ईरान से 100 से अधिक छात्रों को स्वदेश वापस लाई है। बढ़ते तनाव के बावजूद छह शीर्ष पश्चिम एशियाई देशों में सबसे अधिक भारतीय छात्र ईरान गए हैं। वर्ष 2022 से 2024 के बीच इनकी हिस्सेदारी में खासा इजाफा हुआ है। इसके बाद कुवैत ऐसा देश है जहां यह हिस्सेदारी थोड़ी बढ़ी है। इजरायल सहित अन्य देशों में गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2015 से अब तक दुनिया के लगभग 8 देशों में युद्ध जैसे हालात का सामना किया है। इस अवधि के दौरान, यूक्रेन, यमन, सूडान, दक्षिण सूडान, अफगानिस्तान और हैती जैसे संघर्ष प्रभावित देशों में समग्र अनिवासी भारतीय आबादी में काफी गिरावट आई है।
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) (57%), ईरान (18%) और इजरायल (8%) में छह पश्चिम एशियाई देशों में शिक्षा प्राप्त कर रहे भारतीय छात्रों की सबसे अधिक हिस्सेदारी रही।
वर्ष 2021 से 2024 के बीच दुनिया के लगभग पांच देशों ने किसी न किसी रूप में युद्ध या संघर्ष का सामना किया है। इनमें से तीन देशों यूक्रेन, इजरायल और सूडान में संघर्ष शुरू होने के बाद भारतीय छात्रों की संख्या में गिरावट देखी गई है। युद्ध के बाद हैती के ताजा आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
भारत ने पिछले साढ़े तीन दशकों में ऐसे संकटग्रस्त देशों से अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए लगभग 11 निकासी अभियान चलाए हैं। विशेष रूप से इनमें से आठ पिछले दस वर्षों में चलाए गए हैं, जो भू-राजनीतिक संघर्षों की बढ़ती आवृत्ति को उजागर करते हैं। इनमें से युद्ध से प्रभावित यूक्रेन से भारतीयों को निकालने के लिए 2022 में शुरू किया गया ऑपरेशन गंगा सबसे बड़ा था, जिसमें 18,000 से अधिक लोगों को बचाया गया था। यह खाड़ी युद्ध के दौरान 1990 के दशक में ऑपरेशन एयरलिफ्ट के बाद दूसरा सबसे बड़ा अभियान था। ईरान में भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी वर्ष 2023-2024 में काफी बढ़ी है।