India-UK FTA: ब्रिटेन में हुए चुनावों में कियर स्टार्मर के नेतृत्व वाली लेबर पार्टी को जनादेश हासिल हुआ है और उसने कंजर्वेटिव पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया है। कियर स्टार्मर कह चुके हैं कि अगर चुनावों में उनकी पार्टी को जीत मिलती है तो वह भारत के साथ ‘नई रणनीतिक साझेदारी’ को आगे बढ़ाएंगे। ऐसे में भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते की उम्मीद की जा सकती है, खासकर यह देखते हुए कि भारतीय बाजार ब्रिटेन के निर्यातकों को कीमत पर अच्छी बढ़त दिलाते हैं। एफटीए वार्ता की शुरुआत जनवरी 2022 में हुई थी और खबरों के मुताबिक 26 प्रस्तावों में से 19 पर सहमति बन चुकी है।
मार्च 2019 में समाप्त चार तिमाहियों में भारत ने ब्रिटेन को 9.3 अरब डॉलर का निर्यात किया था। मार्च 2024 में समाप्त समान अवधि में यह निर्यात बढ़कर 13 अरब डॉलर पहुंच गया। 2018-19 से तुलना करें तो निर्यात में 1.8 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई थी जो 2023-24 में बढ़कर 4.5 अरब डॉलर हो गई। भारत अमेरिका के बाद ब्रिटेन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। 20 जून तक के आंकड़े देखे तो भारत से ब्रिटेन को होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वित्त वर्ष 2024-25 में 26.5 करोड़ डॉलर तक जा पहुंचा।
जबकि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग एवं आर्थिक मामलों के विभाग के आंकड़े दिखाते हैं कि बीते कुछ वर्षों में ब्रिटेन से भारत में होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (इक्विटी) काफी हद तक स्थिर रहा। 2021 की आखिरी तिमाही में भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। वर्ष 2023 में भारत का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 2,484.8 डॉलर था जबकि ब्रिटेन का 48,866.6 डॉलर था।
जून में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री तथा ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग ने ‘इंडियन ऐसेट्स: चार्टिंग द जर्नीज ऑफ इंडियन कंपनीज इन द यूके’ नामक रिपोर्ट जारी की। इसमें ब्रिटेन के एफडीआई में भारत के योगदान को रेखांकित किया गया था। वहां निवेश करने वाली अधिकांश कंपनियां महाराष्ट्र, कर्नाटक और उसके बाद दिल्ली की थीं। निवेश करने वाली अन्य कंपनियां हरियाणा, पश्चिम बंगाल, गुजरात और केरल की थीं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में भारत लंदन में एफडीआई का सबसे बड़ा बाजार था और शहर के एक तिहाई एफडीआई के लिए जिम्मेदार था।
लेबर पार्टी ने प्रवासन को कम करने का संकल्प लिया है और इसके लिए नीतियां भी तैयार की हैं। पहले प्रकाशित खबरों के मुताबिक वह शुद्ध प्रवासन को कम करके हर वर्ष कुछ लाख तक लाना चाहती है।
यह तब है जबकि ब्रिटेन जाने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2023 में 251,000 भारतीय ब्रिटेन गए जबकि कोविड के पहले 2019 में यह आंकड़ा 72,000 था। 2023 में महामारी के बाद पहली बार अधिकतर लोग पढ़ने के बजाय रोजगार के लिए ब्रिटेन गए।
मार्च 2019 में समाप्त चार तिमाहियों में भारत ने यूके को 9.3 अरब डॉलर का निर्यात किया
मार्च 2024 में समाप्त समान अवधि में यह निर्यात बढ़कर 13 अरब डॉलर पहुंच गया
2018-19 की तुलना में निर्यात 1.8 अरब डॉलर बढ़ा था जो 2023-24 में बढ़कर 4.5 अरब डॉलर हो गया
भारत अमेरिका के बाद यूके में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत
20 जून तक के आंकड़े देखे तो भारत से यूके को होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वित्त वर्ष 2024-25 में 26.5 करोड़ डॉलर तक जा पहुंचा