भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में निवेश सुविधा मामले में प्रस्ताव को आगे बढ़ाने को लेकर चीन जैसे कुछ देशों के प्रयासों का कड़ा विरोध किया है। उसका कहना है कि यह एजेंडा WTO को मिली जिम्मेदारी से बाहर का मामला है।
यह मुद्दा अबू धाबी में विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में उठेगा। चार दिन की यह बैठक 26 फरवरी से शुरू होगी। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन WTO में निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है।
चीन के नेतृत्व वाला 130 देशों का समूह विकास के लिए निवेश सुविधा (IFD) प्रस्ताव को आगे बढ़ा रहा है। समूह इस प्रस्ताव को WTO के समझौते से जुड़े अनुबंध-चार के माध्यम से लाना चाहता है। इसके तहत यह प्रस्ताव केवल हस्ताक्षरकर्ता सदस्यों के लिए बाध्यकारी होगा न कि उन लोगों के लिए जो इसका विरोध कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हम इसके भी खिलाफ हैं।’’ भारत ने इसका विरोध किया है क्योंकि इससे WTO की बहुपक्षीय प्रकृति कमजोर हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ये देश इस विषय पर बातचीत करना चाहते हैं तो उन्हें WTO के औपचारिक व्यवस्था के बाहर ऐसा करना चाहिए।