India GDP Growth: विश्व बैंक ने मंगलवार को अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स रिपोर्ट में कहा कि भारत में बढ़ते टैक्स राजस्व और घटते खर्चों की वजह से सार्वजनिक कर्ज-GDP अनुपात धीरे-धीरे कम होगा। इससे वित्तीय मजबूती आएगी। विश्व बैंक ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान वित्त वर्ष 2026 के लिए 6.3% पर बरकरार रखा है। यह अप्रैल में साउथ एशिया डेवलपमेंट अपडेट में भी कहा गया था। हालांकि, बढ़ती व्यापार बाधाओं और प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में कमजोर गतिविधियों की वजह से निर्यात कमजोर पड़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया, “भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज 6.3% की ग्रोथ बनाए रखेगा।”
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2026 के बजट में नया प्लान बताया था। अब सरकार कर्ज-GDP अनुपात को वित्तीय लक्ष्य बनाएगी, न कि सिर्फ वित्तीय घाटे को। सरकार का लक्ष्य है कि 2031 तक कर्ज-GDP अनुपात 50% तक लाया जाए, जिसमें एक प्रतिशत की छूट हो सकती है।
विश्व बैंक ने कहा कि 2025 में औद्योगिक उत्पादन में कमी की वजह से ग्रोथ थोड़ी धीमी रही, लेकिन अगले दो वित्त वर्षों (2027 से) में यह औसतन 6.6% सालाना तक पहुंच सकती है। इसमें मजबूत सर्विस सेक्टर और निर्यात में सुधार की बड़ी भूमिका होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से बढ़ती आयात मांग दक्षिण एशिया में व्यापार को बढ़ावा देगी। विश्व बैंक ने 2025 में वैश्विक ग्रोथ 2.3% रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले 17 सालों में सबसे कम है, अगर वैश्विक मंदी को छोड़ दें।
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया कि अगर बड़े देश व्यापार तनाव कम करने में कामयाब रहे, तो वैश्विक ग्रोथ उम्मीद से जल्दी सुधर सकती है। इससे नीतिगत अनिश्चितता और वित्तीय अस्थिरता कम होगी।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि विकासशील देशों को व्यापार और निवेश साझेदारियां बढ़ाकर और क्षेत्रीय समझौतों के जरिए व्यापार में विविधता लाकर और खुलापन अपनाना चाहिए।
अप्रैल में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की 2026 की ग्रोथ का अनुमान 30 बेसिस पॉइंट घटाकर 6.2% कर दिया था। IMF ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा कि बढ़ते व्यापार तनाव और वैश्विक अनिश्चितता ने ग्रोथ अनुमान को मुश्किल बना दिया है।
विश्व बैंक ने दक्षिण एशिया के लिए प्रमुख जोखिम बताए, जैसे प्रमुख साझेदारों से व्यापार बाधाएं बढ़ना और वैश्विक व्यापार नीति में अनिश्चितता। रिपोर्ट में कहा गया, “अगर वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ी या जोखिम लेने की क्षमता घटी, तो वैश्विक वित्तीय स्थिति सख्त हो सकती है। इससे क्षेत्र की मुद्राएं कमजोर हो सकती हैं और पूंजी बाहर जा सकती है।”
क्षेत्र में हिंसा, सामाजिक अशांति बढ़ने या प्राकृतिक आपदाओं के बार-बार आने का खतरा भी अर्थव्यवस्थाओं के लिए नुकसानदायक हो सकता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत में निर्माण और सर्विस सेक्टर की ग्रोथ स्थिर रही, जबकि खेती का उत्पादन सूखे से उबर गया। ग्रामीण मांग ने इसमें बड़ा सहयोग दिया।
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के डेटा के मुताबिक, भारत की वास्तविक GDP ग्रोथ 2025 में 6.5% रही, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 6.6% के अनुमान से थोड़ा कम है।