भारत ने बेल्जियम भारत-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा संबंधों की संभावनाएं तलाशने में दिलचस्पी दिखाई है। दोनों पक्षों ने सोमवार को विशेषकर समुद्री क्षेत्र में रक्षा संबंध बढ़ाने के उपायों पर विचार किया और रक्षा उद्योग क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में बेल्जियम की राजकुमारी एस्ट्रिड और रक्षा मंत्री थियो फ्रेंकेन से साथ बैठक की। दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई इस बैठक से कुछ दिनों पहले ही भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने साझा खतरों से निपटने के लिए रक्षा क्षेत्र में सहयोग करने पर प्रतिबद्धता जताई। बेल्जियम ईयू का सदस्य देश है।
रक्षा मंत्री ने भारत के रक्षा क्षेत्र में बेल्जियम से आने वाले निवेश का स्वागत किया। रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि रक्षा मंत्री ने सुझाव दिया कि अगर बेल्जियम की कंपनियां भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाएं और भारतीय वेंडरों को अपनी आपूर्ति व्यवस्था में शामिल करें तो यह दोनों ही देशों के हित में होगा। बयान में कहा गया कि दोनों ही देश एक संस्थागत रक्षा सहयोग ढांचा तैयार करने पर सहमत हुए हैं।
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने शुक्रवार को यूरोपीय आयोग के आयुक्त (रक्षा एवं अंतरिक्ष) एंड्रियस कुबिलियस के साथ नई दिल्ली में मुलाकात की थी। दोनों पक्षों ने भारत-ईयू रक्षा क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर व्यापक चर्चा की जिसमें समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और भारत-प्रशांत क्षेत्र में सूचना साझा करने पर विशेष जोर दिया गया।
सेठ और कुबिलियस ने रक्षा उद्योग क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के उपायों एवं विकल्पों पर चर्चा की। रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के अनुसार संयुक्त परियोजनाओं में यूरोपीय कंपनियों की भागीदारी और भारत में आपसी साझेदारी के साथ उत्पादन के अवसर बढ़ाने पर भी विशेष रूप से जोर दिया गया। उन्होंने ईयू के परमानेंट स्ट्रक्चर्ड कोऑपरेशन (पेस्को) ढांचे और अन्य यूरोपीय विकास परियोजनाओं में भारत की भागीदारी के तौर-तरीकों पर भी चर्चा की। पेस्को एक संधि आधारित ढांचा है जिसमें ईयू के 27 देशों में 26 सदस्य संयुक्त रूप से आपसी क्षमता विकास की योजना तैयार करने, इसे आगे बढ़ाने और इसमें निवेश करने में भाग एवं आपसी सहयोग कर सकते हैं। इसके तहत वे अपनी सेनाओं की तैयारियों एवं उनके योगदान को और बेहतर बना सकते हैं।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की थी। कुबिलियस भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इस बैठक के बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘ईयू ने पेस्को के अंतर्गत चलने वाली परियोजनाओं में भाग लेने की भारत की दिलचस्पी का स्वागत किया है। सिक्योरिटी ऑफ इन्फॉर्मेशन एग्रीमेंट(एसओआईए) के लिए बातचीत में भाग लेने की भारत की इच्छा पर भी ईयू ने खुशी जताई है।’