अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले वर्ष पाकिस्तान को दी गई 7 अरब डॉलर की बेलआउट पैकेज की पहली समीक्षा शुरू कर दी है। इस बीच, भारत, ब्रिक्स देशों द्वारा स्थापित न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) में लगभग 600 मिलियन डॉलर का निवेश करने की पाकिस्तान की योजना पर आपत्ति जताने के लिए तैयार है। भारत यह आपत्ति ऐसे समय में उठाएगा, जब कर्ज की दूसरी किस्त पर आईएमएफ बोर्ड विचार करेगा।
भारत आमतौर पर IMF बोर्ड की बैठकों में पाकिस्तान के कर्ज अनुरोधों पर मतदान से बचता रहा है। हालांकि, जनवरी 2024 में जब IMF बोर्ड पाकिस्तान के 3 बिलियन स्टैंड-बाय अरेंजमेंट (SBA) की समीक्षा कर रहा था, तब भारत ने IMF से सख्त निगरानी (stringent monitoring) की मांग की थी। भारत ने IMF से कहा था कि उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इमरजेंसी मदद का इस्तेमाल पाकिस्तान डिफेंस खर्च और विदेशी कर्ज चुकाने के लिए न करे।
पाकिस्तान सरकार की आर्थिक समन्वय समिति (Economic Coordination Committee) ने शंघाई स्थित न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) में $582 मिलियन के शेयर खरीदने की योजना बनाई है, जिससे पाकिस्तान को बैंक में 1.1% हिस्सेदारी मिलेगी। यह कदम भारत की नई चिंता का कारण है
NDB की स्थापना 2015 में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (BRICS) द्वारा की गई थी और यह 2016 से सक्रिय रूप से काम कर रहा है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब के नेतृत्व वाली समिति का कहना है कि NDB की सदस्यता से पाकिस्तान BRICS देशों के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ा सकता है और विकास परियोजनाओं के लिए फंडिंग के नए रास्ते खोल सकता है।
भारत का कहना है कि एक ओर पाकिस्तान IMF से बेलआउट फंड मांग रहा है, वहीं दूसरी ओर वह विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) का उपयोग NDB में निवेश के लिए कर रहा है। यह पाकिस्तान की “दोहरे रवैये” की नीति को उजागर करता है।
IMF के मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर के नेतृत्व में IMF अधिकारी पिछले सप्ताह पाकिस्तान पहुंचे, जहां वे $7 बिलियन लोन पैकेज की 37 महीने की समीक्षा कर रहे हैं। अब तक IMF पाकिस्तान को $1 बिलियन की किस्त जारी कर चुका है। IMF की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड तय करेगा कि अगली $1.1 बिलियन की किस्त जारी की जाए या नहीं।
IMF की समीक्षा में पाकिस्तान के आर्थिक सुधारों जैसे टैक्स बेस बढ़ाने, निजीकरण को बढ़ावा देने, नीतिगत पारदर्शिता लाने और आर्थिक स्थिरता हासिल करने के प्रयासों का मूल्यांकन किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय और आईएमएफ बोर्ड में भारत के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने इस मुद्दे पर बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया।
इस घटनाक्रम से अवगत एक सीनियर सोर्स ने कहा, “NDB की सदस्यता के लिए पाकिस्तान ने अपनी इच्छा जताई है, लेकिन मामला शेयरधारकों के बीच किसी औपचारिक या अनौपचारिक चर्चा के स्तर तक नहीं पहुंचा है। इसलिए, सदस्यता के लिए कोई भी भुगतान निकट भविष्य में होने की संभावना नहीं दिखती है।”
भारत पहले भी IMF से अनुरोध कर चुका है कि पाकिस्तान को मिले लोन का उपयोग दूसरे देशों के कर्ज चुकाने या रक्षा क्षेत्र में खर्च करने के लिए न हो।
हालांकि, IMF में भारत के हालिया दावों से अवगत एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की NDB योजनाओं को निश्चित रूप से वाशिंगटन स्थित ग्लोबल लेंडर के सामने चिंता का विषय बताया जाएगा।
अधिकारी का कहना है, “किसी देश का डॉलर के लिए आईएमएफ का सहारा लेना और किसी दूसरे लेंडर में निवेश की योजना बनाना बेतुका है, खासकर तब जब पाकिस्तान को पिछले कुछ वर्षों में आईएमएफ से कई बेलआउट मिले हैं। हाल ही में, भारत आईएमएफ बोर्ड को पाकिस्तान के हथियार आयात और रक्षा खर्च में डबल डिजिट की तेज ग्रोथ के बारे में सचेत कर रहा है, जबकि आईएमएफ ने देश को लोन डिस्बर्स किए हैं, जबकि यह आम तौर पर इन कार्यक्रमों के तहत आईएमएफ की ओर से प्रस्तावित रिफॉर्म एजेंडे को पूरा करने में विफल रहा है।”
2021 में NDB के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने बांग्लादेश, UAE, मिस्र और उरुग्वे को नए सदस्य के रूप में स्वीकार किया था। NDB के पांच संस्थापक सदस्य (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की हिस्सेदारी 18.98% है, जिसमें प्रत्येक देश ने $10 बिलियन की प्रारंभिक पूंजी लगाई थी।