अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने सदस्य देशों से अपने कोटे का योगदान बढ़ाने का आह्वान किया है। IMF ने कहा कि सदस्य देश अपना योगदान बढ़ाकर ही गरीबी न्यूनीकरण और विकास ट्रस्ट (पीआरजीटी) और सबसे गरीब सदस्य लचीले व स्थिरता ट्रस्ट (आरएसटी) से फायदा प्राप्त कर सकते हैं।
IMF किफायती दरों पर पीआरजीटी और आरएसटी कार्यक्रमों के लिए ऋण मुहैया करवाता है। हालांकि पीआरएफटी केवल कम आय देशों को दिया जाता है और संबंधित देश गरीबी कम करने के लिए रियायती दर पर IMF से ऋण प्राप्त करता है। हालांकि आरएसटी हाल में 2021 में शुरू की गई नई सुविधा है और यह कम आय व कमजोर मध्यम आय वाले देशों को जलवायु परिवर्तनव अन्य बाहरी जोखिमों से निपटने के लिए दिया जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘सबसे गरीब और सबसे ज्यादा वलनेबरल ईएमडीई (बढ़ते मार्केट व विकासशील अर्थव्यवस्थाएं) को मदद दी जाती है। लिहाज पीआरजीटी में धन मुहैया कराने में आने वाली खाई को पाटने के लिए हम अपने आर्थिक रूप से शक्तिशाली सदस्यों पर आश्रित हैं।
अभी तक आरएसटी के लिए 40 अरब डॉलर के संसाधन मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जताई जा चुकी है। हमने आरएसटी की पुनर्समीक्षा की है। हम अपने सदस्य देशों से अनुरोध करते हैं कि वे अपने प्रयासों को बढ़ाएं। इस क्रम में सदस्य देश अपने योगदान को बढ़ाएं।’
IMF ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था ने मजूबती दिखाई है लेकिन रिकवरी कम व असामान्य है। IMF ने कहा, ‘कारोबार के बंटे हुए माहौल, उच्च ऋण और दीर्घावधि की उच्च ब्याज दरों के कारण मध्यम अवधि की वैश्विक वृद्धि की दर कमजोर है।
वर्ष 2023 के शुरू में कुछ बैंकों में उथल-पुथल होने के बावजूद परिदृश्य को लेकर जोखिम संतुलित है। हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध शुरू करने, पर्यावरण संकट और कुछ क्षेत्रों में महंगाई को लेकर दबाव चिंता का विषय बन गया है।’
बहुपक्षीय उधारी देने वाली इस एजेंसी ने कहा कि सदस्य देशों के लिए प्रमुख नीतिगत प्राथमिकताएं व्यापक आर्थिक स्थिरता की रक्षा करना, विकास-उन्मुख, हरित सुधारों के माध्यम से समृद्धि को बढ़ाते हुए बफर का पुनर्निर्माण करना और वैश्विक वित्तीय सुरक्षा जाल (जीएफएसएन) और ऋण वास्तुकला को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना है।
IMF ने कहा कि व्यापक आर्थिक स्थायित्व के लिए केंद्रीय बैंकों को दाम नियंत्रित करने के लिए सतत उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। चाहिए। IMF ने कहा कि देशों में खासी असमानताएं हैं लेकिन सख्त मौद्रिक कदम की जरूरत है। आउटपुट लागत को कम करने के लिए देशों में पर्याप्त संवाद की खासी जरूरत है।