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जी-20 की वित्त क्षेत्र की बैठक, आपूर्ति श्रृंखला पर चर्चा

Last Updated- December 13, 2022 | 11:45 PM IST
G-20

बेंगलूरु में जी-20 देशों के वित्त व केंद्रीय बैंकों की उपप्रमुखों (एफसीबीडी) की बैठक के पहले दिन मंगलवार को कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें यूरोप में युद्ध के कारण जिंसों के दामों व आपूर्ति श्रृंखला को गहरा झटका लगने, 2023 की मैक्रोइकोनॉमिक्स और सतत आधारभूत संरचना के लिए धन जुटाना आदि शामिल थे।

भारत की अध्यक्षता में जी-20 फाइनैंस ट्रैक की पहली बैठक हुई। उम्मीद यह है कि यह बैठक बेंगलूरु में फरवरी में होने वाली जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का एजेंडा तय करेगी। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया कि तीन दिवसीय एफसीबीडी बैठक में वैश्विक मैक्रो इकनॉमिक स्थिति, इंटरनैशनल फाइनैंशियल आर्किटेक्ट, सतत आधारभूत संरचना व उसके लिए धन जुटाने, अंतरराष्ट्रीय कराधान, वित्तीय समावेशन पर भी चर्चा होगी।

एफसीबीडी बैठक का आयोजन वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक संयुक्त रूप से कर रहा है। बैठक की अध्यक्षता वित्तीय मामलों के सचिव अजय सेठ और भारतीय रिजर्व बैंक के उपगवर्नर माइकल पात्रा ने की। इस अवसर पर मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन भी उपस्थित थे।

मंत्रालय ने कहा, ‘पहले सत्र में वैश्विक अर्थव्यवस्था और वृद्धि के ढांचे पर चर्चा हुई। इसमें जी-20 के वित्तीय उपप्रमुखों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था परिदृश्य और जोखिम पर चर्चा की। इस अवसर पर उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने की नीतियों के प्रभाव की भी चर्चा की गई। सदस्यों ने वैश्विक मुद्रास्फीति, पर्यावरण में बदलाव के संदर्भ में खाद्य व ऊर्जा की हालिया चुनौतियों पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए।’ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक रूस पर यूक्रेन के कब्जे के बाद पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के लगाए गए प्रतिबंधों से विश्व की एक तिहाई अर्थव्यवस्था साल 2023 में मंदी की चपेट में आ जाएगी।

वैश्विक अर्थव्यस्था में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए गठित जी-20 के समूह के ‘द शेरपा ट्रैक’ से पुराना ‘द फाइनैंस ट्रैक’ है। ‘द फाइनैंस ट्रैक’ में पांच कार्य समूह हैं। ये समूह आधारभूत संरचना, पर्यावरण व सतत आधारभूत फाइनैंसिंग, वैश्विक कराधान, ऋण के स्तर और वहनीयता से संबंधित हैं। ये समूह विशेष तौर पर कम आय वाले देशों, बहुपक्षीय संस्थान, सीमा पार वित्तीय अपराधों, क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों के विनियमन के मामलों से जुड़े हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ‘फाइनैंस ट्रैक’ में मुख्य विषयों के बारे में राय व्यक्त कर चुकी हैं। उन्होंने बीते सप्ताह कहा था कि जलवायु और सतत विकास फाइनैंसिंग, बहुपक्षीय संस्था सुधार, डिजिटल संपत्ति का विनियमन, यूरोप में जारी युद्ध का विकासशील देशों पर पड़ने वाले प्रभाव और रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला प्रभाव एजेंडा का संभावित विषय हो सकता है।

आंकड़ों को पूर्ण रूप में साझा करना ठीक नहीं है : कांत

भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने मंगलवार को कहा कि सरकार को आंकड़ों का प्रसार इन्हें खंड-खंड करके करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जानकारियों को पूर्ण रूप में साझा करना ‘ठीक नहीं है।’ मुंबई में जी-20 विकास कार्यसमूह की बैठक को संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि किसी भी देश के लिए विकास लक्ष्यों को पाने के लिहाज से आंकड़े अहम पहलू होते हैं और भारत को इसका लाभ मिला भी है।

आंकड़ों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के महत्त्व पर जोर देते हुए कांत ने आंकड़ों को जुटाने के सरकार के तौर-तरीकों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘सरकारी आंकड़े अपने पूर्ण रूप में उपलब्ध करवाए जाते हैं जो अच्छा नहीं है। हमें इन्हें तोड़ना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि कई बार आंकड़ों की गुणवत्ता भी बहुत खराब होती है और आंकड़ों की गुणवत्ता को बेहतर बनाना बहुत आवश्यक है।

कांत ने कहा कि सरकारी अधिकारियों की प्रवृत्ति आंकड़ों को अपने अधिकार में, अपने तक सीमित रखने की होती है, वे इन्हें साझा नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘हमें इस चुनौती से निपटना होगा ताकि अकादमिक क्षेत्र के लोग और शोधकर्ता आंकड़ों का विश्लेषण कर सकें और बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए इनका उपयोग कर पाएं।’ उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों और सुशासन के अभाव में कोई भी कम विकसित या विकासशील देश वृद्धि नहीं कर पाएगा।’

भारत की जी-20 अध्यक्षता का जी 7 देशों का समर्थन

जी 7 के सदस्य देशों ने भारत की जी-20 अध्यक्षता का समर्थन किया और न्यायसंगत दुनिया के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए बड़ी प्रणालीगत चुनौतियों और तात्कालिक संकटों से मिलकर निपटने का संकल्प लिया। भारत ने आधिकारिक रूप से एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता संभाली। नई दिल्ली में अगले साल 9 एवं 10 सितंबर को राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष स्तर पर जी-20 नेताओं का अगला सम्मेलन होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के विषय से प्रेरित होकर एकता को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा और आतंक, जलवायु परिवर्तन, महामारी को सबसे बड़ी चुनौतियों के तौर पर सूचीबद्ध करेगा जिनका एक साथ मिलकर बेहतर तरीके से मुकाबला किया जा सकता है। जी 7 देशों के नेताओं ने सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि वे सभी के लिए बेहतर एवं सतत भविष्य का समर्थन करते हैं।

जी 7 देशों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘जर्मनी की अध्यक्षता में जी 7 देशों ने अपने अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर हमारे समय की प्रमुख प्रणालीगत चुनौतियों और तात्कालिक संकट से मिलकर निपटने का अपना संकल्प दिखाया है। हमारी प्रतिबद्धताओं और कदमों ने एक न्यायसंगत दुनिया की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया है।’

बयान में कहा गया है कि जी 7, जी-20 में भारत की अध्यक्षता का समर्थन करता है और एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और सतत भविष्य के पुनर्निर्माण के लिए मजबूती से, एकजुट होकर और पूरी तरह प्रतिबद्ध होकर खड़ा हैं। कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जी-7 के सदस्य देश हैं। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ जी-20 के सदस्य हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कई समाचार पत्रों में प्रकाशित एवं कई वेबसाइट पर साझा किए गए एक लेख में कहा था कि भारत की जी 20 प्राथमिकताओं को न केवल जी-20 भागीदारों, बल्कि दुनिया के दक्षिणी हिस्से के उन साथी देशों के परामर्श से आकार दिया जाएगा, जिनकी आवाज अक्सर अनसुनी कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्त्वाकांक्षी, कार्रवाई उन्मुख और निर्णायक होगा।

First Published - December 13, 2022 | 11:45 PM IST

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