भारत को डर है कि G-20 देशों की शेरपा बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध से संबंधित अनुच्छेद पर बातचीत से बाकी एजेंडा रुक सकता है। इसलिए भारत इस विवादास्पद मुद्दे पर अंतिम दौर में चर्चा करने पर जोर दे रहा है।
जी20 के तहत तीसरी शेरपा बैठक के पहले दिन मीडिया को संबोधित करते हुए भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता में ही भारत विवादास्पद भू-राजनीतिक मसलों पर चर्चा कर रहा है और सामूहिक वार्ता में इस पर चर्चा से बच रहा है।
कांत ने कहा, ‘रूस-यूक्रेन युद्ध की चर्चा को बैठक पर हावी नहीं होने दिया जाएगा। यह युद्ध हमारी वजह से नहीं हुआ है और न ही विकासशील देशों और उभरते देशों का इसमें कोई हाथ है। हमारे लिए यह प्राथमिकता नहीं है। हमारी प्राथमिकता विकास के मुद्दे हैं। इसलिए हम इस पर सबसे आखिर में चर्चा करेंगे।’
विकसित देश यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की आलोचना करने वाला सख्त अनुच्छेद बयान में शामिल करने पर जोर दे रहे हैं। मगर चीन और रूस नेताओं के बयान में इस युद्ध का कोई भी जिक्र किए जाने के एकदम खिलाफ हैं। कांत ने कहा, ‘इसका समाधान मिले या न मिले, हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। हम महत्त्वाकांक्षी मुद्दों पर जोर देंगे।’
अमिताभ कांत ने कहा कि अगर हम अफ्रीकी यूनियन को जी20 का सदस्य बना लेते हैं तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। हमें दूसरों की प्राथमिकताओं की फिक्र क्यों करें? यह अहम मसला है मगर दूसरे मुद्दे भी बेहद महत्त्वपूर्ण हैं।’
कांत ने कहा कि सदस्य डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की परिभाषा पर चर्चा कर रहे हैं और यह भी सोच रहे हैं कि कोई देश तकनीकी बदलाव के तहत अपने नागरिकों के लाभ के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम मेधा का उपयोग किस तरह कर सकता है।
कांत ने कहा कि हम्पी में शेरपा बैठक के पहले दिन सदस्यों ने प्रस्तावित बयान की प्रस्तावना और निष्कर्ष वाले अनुच्छेदों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘29 देशों के बीच सहमति बनाना बहुत कठिन और जटिल काम है। हमें इस पर बहुत मेहनत करनी होगी। हम करीब 17 घंटे इस पर चर्चा कर रहे हैं। बैठक के अंत में बयान जारी किया जाएगा।’
जी 20 देश सतत विकास के लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 7 साल के लिए नई कार्ययोजना पर भी चर्चा कर रहे हैं। इस मामले में ये देश अभी 2030 के लक्ष्य से काफी पीछे हैं।