विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लिवाली का सिलसिला जुलाई में भी जारी है। इस महीने में अबतक एफपीआई ने भारतीय शेयरों में शुद्ध रूप से 45,365 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने आगे ब्याज दर में और बढ़ोतरी का संकेत दिया है और तत्काल ब्याज दर घटाने की संभावना से इनकार किया है।’’
उन्होंने कहा कि ब्याज दर वृद्धि के वैश्विक स्तर पर तरलता की स्थिति पर संभावित असर को देखते हुए एफपीआई अपने निवेश का नए सिरे से आकलन कर रहे हैं।
यह लगातार तीसरा महीना है जबकि एफपीआई का प्रवाह 40,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।
पिछले तीन माह के दौरान एफपीआई शेयर बाजारों में 1.36 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं। मार्च से पहले जनवरी और फरवरी में एफपीआई ने शेयरों से कुल मिलाकर 34,626 करोड़ रुपये निकाले थे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘एफपीआई की लिवाली-बिकवाली बाहरी कारकों मसलन डॉलर इंडेक्स, अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल और वैश्विक बाजारों के रुख से तय होती है। इसके अलावा वे घरेलू अर्थव्यवस्था की बुनियाद पर भी नजर रखते हैं।’’
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि पिछले तीन माह के दौरान एफपीआई उन्हीं वित्तीय शेयरों को खरीद रहे हैं, जो उन्होंने 2023 के पहले तीन माह के दौरान बेचे थे।
शेयरों के अलावा एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि में ऋण या बॉन्ड बाजार में भी 3,340 करोड़ रुपये डाले हैं। इस साल शेयरों में एफपीआई का शुद्ध निवेश 1.22 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। वहीं बॉन्ड बाजार में वे 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर चुके हैं।