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विदेश मंत्री ने कहा- बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, मंदिरों पर हो रहे हमले बेहद चिंताजनक; क्या है शेख हसीना की यात्रा योजना

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश की सरकार से बार-बार संयम बरतने के लिए कहा है, साथ ही यह गुजारिश की है कि बातचीत के जरिये स्थिति को सुलझाया जाए।

Last Updated- August 06, 2024 | 11:21 PM IST
India eyes Bangladesh; Attacks on minorities, their businesses and temples are extremely worrying: Foreign Minister बांग्लादेश पर भारत की नजर; अल्पसंख्यकों, उनके कारोबार और मंदिरों पर हो रहे हमले बेहद चिंताजनक: विदेश मंत्री

S Jaishankar on bangladesh and Sheikh Hasina: सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि वह पड़ोसी देश बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, उनके कारोबार और मंदिरों पर हो रहे हमले से बेहद चिंतित है और वहां की स्थिति पर नजर बनाए हुए है। पड़ोसी देश के हालात पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने दिन में मुलाकात की। मंगलवार सुबह की सर्वदलीय बैठक में जयशंकर ने नेताओं को वहां के हालात से वाकिफ कराया और दोपहर में बांग्लादेश के हालात पर संसद में एक बयान भी दिया।

सूत्रों के मुताबिक सर्वदलीय बैठक में जयशंकर ने बताया कि सत्ता से बेदखल हुई बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच देश छोड़कर सोमवार की दोपहर भारत में आईं हैं और वहां के हालात के चलते वह सदमे में हैं। भारत सरकार उनकी भविष्य की योजना के बारे में पूछताछ करने से पहले, उन्हें इससे उबरने का वक्त दे रही है।

सूत्रों के मुताबिक, लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित अन्य नेताओं के सवालों के जवाब में जयशंकर ने बांग्लादेश में देखे जा रहे हिंसक माहौल में अन्य देशों की भूमिका से इनकार नहीं किया लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अभी हालात पूरी तरह से स्थिर नहीं हैं और सरकार नजर बनाए हुए है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार ने हसीना से कहा है कि वह कुछ और दिनों तक भारत में रह सकती हैं और अन्य किसी देश में शरण पाने की संभावनाएं तलाश सकती हैं।

हसीना ने शुरुआत में भारत के रास्ते लंदन जाने की योजना बनाई थी लेकिन ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने कहा कि ब्रिटेन के आव्रजन नियम किसी व्यक्ति को उस देश में शरण लेने या अस्थायी शरण लेने के लिए उस देश की यात्रा करने की अनुमति नहीं देते हैं।

संसद में दिए गए बयान में जयशंकर ने कहा कि सरकार बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर चिंतित है और इसकी पूरी सीमा अभी स्पष्ट नहीं है। भारत भी अपने राजनयिकों और बांग्लादेशी अधिकारियों के माध्यम से भारतीय समुदाय के निरंतर संपर्क में है। विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में अनुमानित तौर पर 19,000 भारतीय हैं जिनमें 9,000 छात्र भी हैं। उन्होंने कहा कि जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद कई छात्र भारत वापस लौट आए थे।

जयशंकर ने कहा कि भारत को उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार ढाका में इसके उच्चायोग, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में सहायक उच्चायोगों को सुरक्षा मुहैया कराएगी। उन्होंने कहा कि भारत के सीमा सुरक्षा बलों को भी विशेष रूप से सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।

हसीना ने किन परिस्थितियों में इस्तीफा दिया और सोमवार को भारत से कैसे शरण मांगी इन सभी बातों का ब्योरा देते हुए जयशंकर ने कहा, ‘बेहद कम समय में ही उन्होंने कुछ वक्त तक के लिए भारत आने की मंजूरी देने का अनुरोध किया। उसी समय बांग्लादेश के अधिकारियों ने भी उड़ान की मंजूरी के लिए निवेदन किया। वह पिछली शाम दिल्ली आ गईं।’

जयशंकर ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश की सरकार से बार-बार संयम बरतने के लिए कहा है, साथ ही यह गुजारिश की है कि बातचीत के जरिये स्थिति को सुलझाया जाए।

उन्होंने कहा, ‘इस तरह का आग्रह विभिन्न राजनीतिक धड़ों से भी किया गया जिनके संपर्क में हम थे।’ हाल के घटनाक्रम के तार जनवरी 2024 में हुए बांग्लादेश के चुनावों से जुड़े होने की संभावनाओं के संकेत देते हुए जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश की राजनीति में काफी तनाव, गहरे विभाजन और बढ़ते ध्रुवीकरण की स्थिति ने इस साल जून में शुरू हुए छात्र आंदोलन को बढ़ा दिया।

उनका कहना था कि बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय के 21 जुलाई के फैसले के बावजूद सार्वजनिक आंदोलनों में कोई कमी नहीं देखी गई। बांग्लादेश की शीर्ष अदालत ने 21 जुलाई को सरकारी नौकरियों के आवेदकों के लिए विवादास्पद आरक्षण को वापस लेने का फैसला किया था। जयशंकर ने कहा, ‘उसके बाद लिए गए विभिन्न फैसलों और कार्रवाइयों ने हालात को और गंभीर रूप दे दिया। पूरा आंदोलन एक सूत्री एजेंडा बना गया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना चाहिए।’

हसीना की यात्रा योजना

हसीना ने अपनी बहन शेख रेहाना के साथ भारत के रास्ते, लंदन जाने की योजना बनाई थी और उनके सहयोगियों ने गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरने से पहले भारतीय अधिकारियों को इसकी जानकारी दी थी। हालांकि उनकी लंदन जाने की योजना तब टल गई जब ब्रिटेन की सरकार ने संकेत दिया कि उनके देश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन से जुड़ी किसी भी संभावित जांच में उन्हें कोई कानूनी सुरक्षा नहीं मिल सकती है।

सोमवार को ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि बांग्लादेश के नागरिक पिछले दो हफ्ते की अप्रत्याशित हिंसा और जानमाल के नुकसान जैसी स्थिति की संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के नेतृत्व में पूर्ण और स्वतंत्र जांच के हकदार हैं।

हसीना ने लंदन जाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि रेहाना की बेटी ट्यूलिप सिद्दीक ब्रिटिश संसद की सदस्य हैं। ट्यूलिप हैंपस्टीड और हाइगेट के ट्रेजरी और लेबर सांसद की आर्थिक सचिव हैं। सूत्रों का कहना है कि हसीना के परिवार के सदस्य फिनलैंड में भी हैं इसलिए वह उत्तरी यूरोपीय देश जाने पर भी विचार कर रही हैं। हसीना को कड़ी सुरक्षा के बीच किसी अज्ञात जगह पर रखा गया है।

अल्पसंख्यकों पर हमले

ढाका में यूरोपीय संघ (ईयू) के मिशन प्रमुख ने कहा कि पूजा स्थलों और कुछ धर्मों के लोगों तथा अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले की रिपोर्ट से वह बेहद चिंतित हैं। एक्स पर अपने पोस्ट में ईयू के ढाका में मिशन प्रमुख ने सभी दलों से संयम बरतने की अपील की और सांप्रदायिक हिंसा को स्वीकार न करने के साथ ही सभी बांग्लादेशी नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कायम रखने की गुजारिश भी की।

ढाका से एजेंसियों की रिपोर्ट में अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं के हवाले से दावा किया गया कि कई हिंदू मंदिरों, घरों और कारोबारों को निशाना बनाया गया और महिलाओं पर हमले किए गए। इसके अलावा आवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो नेताओं की बांग्लादेश की हिंसा में मौत हो चुकी है।

बांग्लादेश हिंदू बुद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल के महासचिव राणा दासगुप्ता ने एक बयान में कहा कि हालात बेहद गंभीर हैं और पूरे बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले किए जा रहे हैं।

First Published - August 6, 2024 | 11:21 PM IST

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