पेट्रोलियम मंत्रालय ने वेनेजुएला से कच्चा तेल खरीदने के लिए तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) को अपनी अनौपचारिक मंजूरी दे दी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी और बताया कि वेनेजुएला से अक्टूबर में अमेरिकी प्रतिबंध हट गया है। उन्होंने बताया कि सरकारी तेल कंपनियों में बीपीसीएल खरीदारी का ऑर्डर देने वाली पहली कंपनी है। इससे पहले आईओसीएल और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी वेनेजुएला से तेल खरीदा था।
अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय तब लिया गया है जब कई भारतीय रिफाइनरियां दक्षिण अमेरिकी देश से अल्ट्रा हेवी मेरे-16 ग्रेड के कच्चे तेल को संभालने में सक्षम हो गई हैं।
शुक्रवार को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम हमेशा वेनेजुएला से खरीदते हैं। हमने हमेशा वेनेजुएला से सामान की खरीद की है। जब वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगा तो वह आपूर्ति करने में सक्षम नहीं था।’ उन्होंने कहा कि ओडिशा की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) की पारादीप रिफाइनरी समेत कई रिफाइनरियां वेनेजुएला के भारी तेल का प्रसंस्करण करने में सक्षम हैं।
बीते 18 अक्टूबर को अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय ने अधिकतर तेल और गैस क्षेत्र पर लागू वेनेजुएला से संबंधित प्रतिबंध हटा दिया, जिसे डॉनल्ड ट्रंप की सरकार ने लगाया था। इनमें तेल और गैस की बिक्री के साथ-साथ करों, रॉयल्टी, लागत, शुल्क, लाभांश और मुनाफे का भुगतान शामिल था।
वैश्विक महामारी कोविड-19 से पहले भारत नियमिति रूप से इस दक्षिण अमेरिकी देश से कच्चे तेल का आयात करता था, जो देश के कुल तेल आयात का 6 से 7 फीसदी था। साल 2018-19 में आयात अपने चरम पर पहुंच गया था जब देश से 7.24 अरब डॉलर का कच्चा तेल आया, जो भारत के लिए कच्चे तेल का 5वां सबसे बड़ा स्रोत था। साल 2020-21 में यह घटकर 64.3 करोड़ डॉलर हो गया, जिसके बाद अब तक कोई आयात नहीं हुआ है।
ओएनजीसी का फिलहाल वेनेजुएला की संपत्तियों में 50 करोड़ डॉलर मूल्य का लाभांश भुगतान फंसा है। कंपनी की विदेशी निवेश शाखा ओएनजीसी विदेश की पूर्वी वेनेजुएला में सैन क्रिस्टोबल क्षेत्र में 40 फीसदी हिस्सेदारी है।
फिलहाल केंद्र सरकार देश के तेल के स्रोतों में विविधता लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक तेल आपूर्ति में संभावित व्यवधान के बढ़ते खतरे, जिसमें इजरायल-हमास युद्ध के कारण तनाव बढ़ने की बढ़ती संभावना भी है। इसने इसे और अधिक आवश्यक बना दिया है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘वेनेजुएला पर ध्यान केंद्रित करना इस व्यापक कदम का हिस्सा है।’ रूसी कच्चे तेल की बड़ी खेप हासिल करने के एक साल से अधिक समय के बाद भारत तेजी से पश्चिम एशिया में अपने पारंपरिक भागीदारों से आपूर्ति फिर से स्थापित करने पर विचार कर रहा है।
रॉयटर्स के मुताबिक अक्टूबर महीने में भारत के कुल आयात में रूस के कच्चे तेल की हिस्सेदारी घटकर 33 प्रतिशत रह गई, जो सितंबर में 35 प्रतिशत थी, जो 42 प्रतिशत के ऐतिहासिक उच्च स्तर की तुलना में बहुत कम है। हाल के महीनों में सऊदी अरब और इराक से तेल के आयात में तेजी के बावजूद यह स्तर बना हुआ है।
लंदन के कमोडिटी डेटा एनॉलिटिक्स प्रोवाइडर वोर्टेक्सा के मुताबिक रूस से आयात 5 प्रतिशत बढ़कर 16.8 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है। वोर्टेक्सा जहाजों की आवाजाही के आधार पर आयात का अनुमान लगाती है। हाल के महीनों में डिस्काउंट का औसत स्तर बढ़कर 8 से 10 डॉलर प्रति बैरल हो गया है, जो जुलाई के 4 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में अधिक है।