अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा विदेशी आयात (foreign import) पर लगाए गए व्यापक टैरिफ के खिलाफ कैलिफोर्निया पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने कानूनी लड़ाई शुरू की है। कैलिफोर्निया सरकार ने संघीय अदालत में बुधवार को इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की।
यह याचिका सैन फ्रांसिस्को की एक अदालत में दाखिल की गई है। इसमें गवर्नर गेविन न्यूसम और अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने तर्क दिया है कि ट्रंप ने ये टैरिफ कांग्रेस की मंजूरी के बिना लागू किए, जो उनकी कानूनी शक्तियों से परे है।
न्यूसम प्रशासन का कहना है कि ट्रंप के इन टैरिफ्स से न सिर्फ कैलिफोर्निया, बल्कि पूरे अमेरिका की इकॉनमी को नुकसान पहुंचा है। इससे कारोबार पर असर पड़ा है, महंगाई बढ़ी है और नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
गवर्नर न्यूसम ने अपने बयान में कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए गैरकानूनी टैरिफ कैलिफोर्निया के परिवारों, व्यवसायों और हमारी इकॉनमी के लिए बड़ी परेशानी बन गए हैं। कीमतें बढ़ रही हैं और रोजगार पर संकट खड़ा हो गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम अमेरिकी परिवारों के साथ खड़े हैं, जो इस अराजकता को और झेलने की हालत में नहीं हैं।”
ट्रंप ने टैरिफ क्यों लगाया? आसान हिंदी में समझिए
2 अप्रैल को अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने सभी देशों से आने वाले आयात पर 10% का बेसलाइन टैरिफ (आयात शुल्क) लगा दिया। इसके अलावा जिन देशों पर अमेरिका के उत्पादों को लेकर ज्यादा व्यापारिक बाधाएं हैं, उन पर इससे भी ज्यादा टैक्स लगाया गया। हालांकि, इनमें से ज्यादातर ऊंचे टैक्स 90 दिनों के लिए टाल दिए गए हैं।
लेकिन चीन को इस छूट से बाहर रखा गया। ट्रंप प्रशासन ने चीन से आने वाले कुछ सामानों (जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद छोड़कर) पर 145% तक का टैक्स लगा दिया। जवाब में चीन ने अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर 125% टैक्स लगा दिया। यूरोपीय यूनियन ने भी बदले में टैक्स लगाने की तैयारी कर ली है, लेकिन फिलहाल वह इसे रोक कर रखे हुए है।
ट्रंप ने इन टैक्सों को जायज ठहराने के लिए 1977 के International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) का हवाला दिया है। इस कानून के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई “असामान्य और गंभीर” खतरा हो, तो वह आर्थिक कदम उठा सकता है।
हालांकि, कैलिफोर्निया राज्य सरकार ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है। उसका कहना है कि यह कानून राष्ट्रपति को इतने बड़े स्तर पर ट्रेड इमरजेंसी घोषित करने और एकतरफा टैक्स लगाने की इजाजत नहीं देता।
ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ क्यों खड़ा हुआ कैलिफोर्निया? जानिए मामला
ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ कैलिफोर्निया ने कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है। राज्य सरकार का कहना है कि इन टैरिफ का सीधा असर कैलिफोर्निया की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, जो अगर एक देश होता तो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी मानी जाती।
कैलिफोर्निया ने अदालत में दायर याचिका में बताया है कि उसके चीन, मैक्सिको और कनाडा जैसे बड़े व्यापारिक साझेदारों के साथ रिश्ते इन टैरिफ्स के चलते बिगड़े हैं। राज्य सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर इन टैरिफ को आगे भी लागू किया गया तो इससे और ज्यादा आर्थिक नुकसान होगा।
गवर्नर गैविन न्यूसम और अटॉर्नी जनरल रोब बोंटा ने अदालत से अपील की है कि वह होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट और कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन को इन टैरिफ उपायों को लागू करने से रोके।
कैलिफोर्निया की यह कानूनी कार्रवाई अकेली नहीं है। इससे पहले भी दो और मुकदमे टैरिफ के खिलाफ दर्ज किए जा चुके हैं। न्यूयॉर्क की इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट में लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने एक मुकदमा दायर कर सभी टैरिफ को रोकने की मांग की है। वहीं, फ्लोरिडा का एक छोटे व्यवसायी ने चीन पर लगाए गए खास टैरिफ को फेडरल कोर्ट में चुनौती दी है।