फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष बेन एस बर्नान्के बेयर स्टन्स मामले में जवाब देने बुधवार को कांग्रेस की समिति के पास पहुंचे।
बेयर के अधिग्रहण में मध्यस्थता करने के लिए उनसे जवाब मांगा गया था और उन्हें गुरुवार को भी पेशी के लिए बुलाया गया है। दरअसल दिवालियेपन के कगार पर पहुंच चुके बेयर को संकट से निकालने के लिए बर्नान्के ने जो कोशिशें की थी उस पर कांग्रेस ने उनसे सवाल पूछा था कि केंद्रीय बैंक ने अपने परंपरागत कार्य प्रणाली से बाहर निकलते हुए कदम क्यों उठाया है।
साथ ही उनसे यह भी पूछा गया है कि आखिर वह किस हद तक किसी मामले में मध्यस्थता कर सकते हैं और उन्होंने अपने लिए क्या सीमाएं तय कर रखी हैं।एक ओर जहां अमेरिकी नीति निर्माताओं ने केंद्रीय बैंक और वित्त विभाग की सराहना की है कि उन्होंने वित्तीय चरमराहट की कगार पर पहुंचे बैंक को बचाने के लिए कदम बढ़ाया है, वहीं उन्होंने यह तर्क भी दिया है कि आखिर इस तरीके के प्रयास हाउसिंग संकट की मार झेल रहे लाखों लोगों के लिए क्यों नहीं किए गए हैं।
उनका सवाल है कि ऐसे लोग जिनके मकानों को सबप्राइम संकट की वजह से जब्त किया जा रहा है उनके लिए फेडरल रिजर्व क्यों नींद से नहीं जाग रहा है। सीनेट की वित्तीय समिति के वरिष्ठ रिपब्लिकन चार्ल्स ग्रासली ने कहा, ‘अगर आगे भी केंद्रीय बैंक इस तरीके का हस्तक्षेप करता है तो यह खतरे की घंटी हो सकती है।’
उन्होंने साथ ही कहा कि फेडरल का यह कदम लोगों को जोखिम उठाने के लिए प्रेरित करेगा क्योंकि उन्हें लगने लगेगा कि नुकसान की स्थिति में उनकी मदद के लिए केंद्रीय बैंक तो आगे आएगा ही। बर्नान्के को जेपी मॉर्गन को बेयर के अधिग्रहण के मामले में मदद पहुंचाने के सवाल पर समिति को जवाब देना है। गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक इस वर्ष ब्याज दरों में दो फीसदी की कटौती कर चुका है। पिछले दो दशकों में यह पहली बार है जब मौद्रिक नीतियों को इतना ढीला छोड़ा गया है।
ब्याज दरें अब 2.25 फीसदी पर हैं जो पिछले वर्ष सितंबर में 5.25 फीसदी पर बनी हुई थीं। सीनेट के बैंकिंग समिति के अध्यक्ष क्रिस्टोफर डोड ने मंगलवार को सीनेट की सभा में कहा, ‘जेपी मॉर्गन ऐंड चेज की ओर से बेयर सर््टन्स के अधिग्रहण में फेडरल ने अभूतपूर्व कदम उठाया है। पर अब समय आ गया है कि मुख्य धारा की चुनौतियों पर भी ध्यान दिया जाए।’
फेडरल ने पिछले महीने यह घोषणा की थी कि वह बेयर के बैलेंस शीट से गैर तरलीकृत संपत्तियों को बाहर कर देगा ताकि जेपी मॉर्गन को बेयर के अधिग्रहण में कोई खास परेशानी न हो।