अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ से राहत पाने की कोशिश में, बांग्लादेश ने Boeing कंपनी से 25 जेट विमान खरीदने का प्रस्ताव दिया है। यह कदम हाल ही में अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच हुए व्यापार समझौते की तर्ज पर उठाया गया है, ताकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को टैरिफ में कटौती के लिए मनाया जा सके।
बांग्लादेश के वाणिज्य सचिव महबुबुर रहमान ने रविवार को वॉशिंगटन रवाना होने से पहले ब्लूमबर्ग न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में कहा, “हमने ऐसे वादे किए हैं जो हमारे लिए व्यावहारिक हैं। Boeing डील भी उसी का हिस्सा है। अगर अमेरिका हमारी पेशकश की तुलना दूसरों से करे, तो हमें बेहतर डील मिलनी चाहिए।”
रहमान एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ अमेरिका पहुंचेंगे, जिसका नेतृत्व वाणिज्य सलाहकार शेख बशीरुद्दीन कर रहे हैं। यह प्रतिनिधिमंडल 29 से 31 जुलाई तक अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा। ये वार्ताएं ऐसे समय हो रही हैं जब 1 अगस्त से नया टैरिफ ढांचा लागू होने वाला है। रहमान ने कहा कि इंडोनेशिया द्वारा Boeing से 50 जेट खरीदने की प्रतिबद्धता एक मिसाल है और बांग्लादेश भी गंभीर प्रस्ताव दे रहा है, भले ही विमानों की डिलीवरी में सालों लगेंगे। उन्होंने कहा, “हम एक मजबूत और दीर्घकालिक पैकेज पेश कर रहे हैं।”
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका ने बांग्लादेश से आयातित वस्तुओं पर 35 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था। जबकि वियतनाम को 20 प्रतिशत, इंडोनेशिया और फिलीपींस को क्रमशः 19 प्रतिशत टैरिफ की दर दी गई है। अब बांग्लादेश इन देशों के समान या उससे भी बेहतर टैरिफ दर की मांग कर रहा है।
बांग्लादेश ने पिछले हफ्ते अमेरिका के गेहूं उत्पादकों के साथ पांच वर्षों तक हर साल 7 लाख टन गेहूं आयात करने का समझौता भी किया है। रहमान ने कहा, “हम कपास और सोयाबीन के आयात में भी वृद्धि कर रहे हैं। ये ऐसे उत्पाद हैं जिनकी हमें सालभर ज़रूरत होती है, जिससे व्यापार घाटा कम करने में मदद मिलेगी।”
बांग्लादेश के पास अमेरिका के साथ करीब 6 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष है। रहमान ने कहा कि Boeing डील और आवश्यक वस्तुओं के आयात का संयोजन बांग्लादेश को वियतनाम से बेहतर टैरिफ रेट दिलाने का हकदार बनाता है। उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका हमारे दीर्घकालिक और जरूरी उत्पादों से जुड़े वादों को ध्यान में रखे, तो हमें वियतनाम से भी बेहतर दर मिलनी चाहिए।” बांग्लादेश की यह रणनीति अमेरिका के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत करने और उच्च टैरिफ की मार से राहत पाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)