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Bangladesh Protests: एक मांग जिससे प्रधानमंत्री शेख हसीना को छोड़ना पड़ा देश, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी नहीं आया काम

बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल ने कहा, 'मैं (देश की) सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। कृपया सहयोग करें। ऐसी अपुष्ट खबरें थीं कि शेख हसीना भारत के किसी शहर की ओर जा रही थीं।'

Last Updated- August 05, 2024 | 5:33 PM IST
Bangladesh Protests: A demand due to which Prime Minister Sheikh Hasina had to leave the country, even the Supreme Court's decision did not work Bangladesh Protests: एक मांग जिससे प्रधानमंत्री शेख हसीना को छोड़ना पड़ा देश, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी नहीं आया काम

Why PM Sheikh Hasina Left Bangladesh: बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरोध में चल रहे प्रदर्शन ने भयानक रूप ले लिया है। विरोध इतना तेज है कि प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री हसीना की आधिकारिक आवास गोनो बभन (Gono Bhaban) पर धावा बोल दिए हैं और शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा है। देश में विद्रोह के चलते 300 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं, जिसमें से आज ही सिर्फ 6 लोग मारे गए हैं। जबकि, पिछले दो दिनों में 100 से ज्यादा मौंते हुईं हैं।

शेख हसीना के देश छोड़कर भारत आने की संभावना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के चाणक्यपुरी में बांग्लादेश उच्चायोग की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। भारत के सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भी बांग्लादेश के चारों ओर हाई अलर्ट जारी कर दिया है। शेख हसीना के देश छोड़ने की खबर आने के बाद बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वकार-उज़-ज़मान (Bangladesh Army Chief General Waqar-uz-Zaman) ने घोषणा की है कि बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और एक अंतरिम सरकार कार्यभार संभाल रही है।

सेना प्रमुख जनरल ने टेलीविजन पर एक संबोधन में कहा, ‘मैं (देश की) सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। कृपया सहयोग करें। ऐसी अपुष्ट खबरें थीं कि वह भारत के किसी शहर की ओर जा रही थीं। मैं देश के राजनीतिक नेताओं से मिला और उन्हें बताया कि ऑर्मी अब देश की जिम्मेदारी ले रही है। ज़मान ने देश की जनता से संयम बरतने का अपील की है और कहा है कि प्रदर्शनकारियों को हिंसा समाप्त कर देनी चाहिए।

किसलिए बांग्लादेश में हो रहा है विरोध? क्या है कारण?

देश में विवादित कोटा प्रणाली को लेकर उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं, जो 1971 के मुक्ति युद्ध लड़ने वाले दिग्गजों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित करता है। बांग्लादेश को आजाद कराने में शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान का खासा योगदान रहा है। प्रदर्शनकारियों और आलोचकों का कहना है कि स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत कोटा अवामी लीग समर्थकों का पक्ष लेता है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। और इसकी वजह से सरकारी नौकरियों में मेरिट के आधार पर छात्रों का सिलेक्शन नहीं हो पाता है और देश में बेरोजगारी को बढ़ावा मिलता है।

30 प्रतिशत रिजर्वेशन हटाने का मुद्दा यूं तो कई सालों से चल रहा है मगर यह तूल तब पकड़ा जब साल 2018 में 30 प्रतिशत आरक्षण को खत्म किया गया। उस समय तक कुल मिलाकर 56 फीसदी आरक्षण दिया जाता था, जिसमें से 30 फीसदी आरक्षण पाकिस्तान के साथ लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के लिए था, 10 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं के लिए और 10 ही प्रतिशत आरक्षण अविकसित जिलों के लोगों के लिए दिया गया था। इसके अलावा, 5 प्रतिशत आरक्षण जनजातीय समुदायों को और 1 प्रतिशत विकलांग लोगों या या बांग्लादेशी कानून के तहत थर्ड जेंडर माना गया हो, के लिए आरक्षित था।

फिर, इस साल जून में, 1971 के दिग्गजों के परिवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शेख हसीना सरकार के फैसले को पलट दिया और 30 प्रतिशत आरक्षण जोड़कर इसे फिर से 56 प्रतिशत कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बांग्लादेश का आरक्षण मामला

21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षित नौकरियों की संख्या को सभी पदों के 56 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया। इसने 1971 के मुक्ति संग्राम के ‘स्वतंत्रता सेनानियों’ के परिवारोंके लिए सभी सरकारी नौकरियों में आरक्षण को 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया। 1% जनजातीय समुदायों के लिए आरक्षित था, और अन्य 1% विकलांग लोगों या बांग्लादेशी कानून के तहत थर्ड जेंडर के रूप में पहचाने जाने वाले लोगों के लिए आरक्षित था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 7 प्रतिशत के अलावा बाकी बचे 93 प्रतिशत पदों का फैसला योग्यता के आधार पर किया जाएगा।

मगर, छात्रों का कहना है कि देश के महिलाओं और अविकसित जिलों के लिए अन्य कोटा के साथ-साथ 5 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को मिलने वाले कोटा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सस्पेंड करते हुए 7 अगस्त की तारीख को सुनवाई की बात कही। लेकिन, छात्रों का विरोध तूल पकड़ता गया क्योंकि, उनकी मांग थी कि शेख हसीना इसे हटाएं।

एक मांग, जिसने शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ने के लिए कर दिया मजबूर

शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के विपक्षी दल ने इसी साल जनवरी में हुए चुनाव का बहिष्कार कर दिया था और शेख हसीना लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री बन गईं। विरोधी पार्टियों का आरोप है कि सेनानियों को आरक्षण देकर सरकार अपने वफादारों का सिर्फ भला कर रही है और वही सरकारी नौकरियों में बिठाए जा रहे हैं।

शेख हसीना से जब 21 जुलाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ज्यादातर कोटा रद्द कर दिया गया। जिसके बाद विरोध प्रदर्शन रुक गए थे। लेकिन, पिछले हफ्ते फिर से दंगे शुरू हो गए क्योंकि जनता ने हिंसा के लिए शेख हसीना से माफी की मांग की।

शेख हसीना ने उस समय विद्रोह में मारे गए लोगों के प्रति सहानुभूति जताते हुए घटना का विरोध किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक धैर्य बनाए रखना चाहिए। उनके इस बयान के बाद से देश में जबरदस्त विरोध हो रहा है और आज आखिरकार उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

First Published - August 5, 2024 | 5:28 PM IST

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