अमेरिका के एलएनजी को लेकर ताजा फैसले का भारत पर तत्काल कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है। अमेरिका ने उन देशों को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के निर्यात का परमिट रोकने का फैसला किया है, जिनके साथ मुक्त व्यापार समझौता नहीं है।
भारत इस समय सबसे ज्यादा एलएनजी कतर से आयात करता है। वहीं अमेरिका इस ईंधन का तीसरा बड़ा स्रोत है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से उस हाजिर मात्रा पर असर पड़ने की संभावना नहीं है, जिसे पहले ही खरीदा जा चुका है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘आपूर्ति के हिसाब से देखें तो भारत पर कम से मध्यम अवधि में कोई प्रत्यक्ष असर नहीं होगा।’
बहरहाल इस कदम से एलएनजी के हाजिर भाव वैश्विक रूप से बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘इससे कुल मिलाकर एलएनजी की खरीद की लागत बढ़ सकती है। पश्चिम एशिया में तनाव के कारण शिपिंग का शुल्क पहले ही बढ़ रहा है।’
जो बाइडन प्रशासन ने शुक्रवार को गैर एफटीए वाले देशों को एलएनजी के निर्यात के लंबित फैसलों पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी। यह अमेरिका के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अथरॉइजेशन के अंतर्निहित विश्लेषणों को अद्यतन नहीं किए जाने तक के लिए है।
भारत का अमेरिका के साथ एफटीए नहीं है। बहरहाल अधिकारियों का कहना है कि भारत का प्रमुख एलएनजी मार्ग उस समुद्री क्षेत्र से नहीं गुजरता है, जो हूती हमलों से प्रभावित है।
अधिकारियों ने कहा कि हाल के फैसले का अभी अध्ययन किया जा रहा है और कंपनियों को इस सिलसिले में जल्द ही दिशानिर्देश दिए जाएंगे।
चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में भारत ने 45 प्रतिशत से ज्यादा एलएनजी कतर से मंगाया है। उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (14.1 प्रतिशत) का स्थान है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका तीसरे स्थान पर है, जिसकी भारत के कुल एलएनजी आयात में हिस्सेदारी 11.6 प्रतिशत है।
अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा एलएनजी निर्यातक है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 के असर के बाद 2020 की शुरुआत से अमेरिका से भारत को निर्यात में तेज वृद्धि शुरू हुई।