अमेरिकी सरकार की कमान संभालने के लिए दुनिया भर से जो बाइडन और कमला हैरिस को बधाई संदेश मिल रहे हैं। ऐसे में अमेरिका में सत्ता बदलाव के कामकाज को संभालने वाले प्रशासन ने कमर कस ली है और नई टीम के 20 जनवरी को शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही काम में जुट गया है।
अमेरिका से ऐसी खबरें आ रही हैं कि बाइडन मंत्रिमंडल की नियुक्ति से पहले व्हाइट हाउस के कर्मचारियों के नाम की घोषणा कर सकते हैं। ऐसे में सभी की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि कौन विदेश मंत्री बनेगा। इस नई नियुक्ति में संभावित चुनौतियों को मद्देनजर रखते हुए विकल्पों पर विचार किया जा रहा है क्योंकि इसकी सीनेट से मंजूरी जरूरी होगी। मगर सीनेट में रिपब्लिक पार्टी का बहुमत रहने के आसार हैं। इनमें से एक नाम पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजन राइस है, जो उपाध्यक्ष के पद के लिए कमला हैरिस के साथ दौड़ में शामिल थीं। एक अन्य नाम एंटनी ब्लिंकेन है, जो ओबामा प्रशासन में पूर्व उप विदेश मंत्री और डिप्टी एनएसए रह चुके हैं। ब्लिंकेन बाइडन के प्रचार में भी अहम सहयोगी थे।
जब शनिवार रात यह साफ हो गया कि उन्हें राष्ट्रपति बनने के लिए बहुमत मिल गया है तो बाइडन ने अपने समर्थकों के सामने अपना राजनीतिक एजेंडा रखा। उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा राष्ट्रपति बनने का वादा करता हूं, जो विभाजन नहीं बल्कि एकता चाहता है। ऐसा राष्ट्रपति जो रेड स्टेट या ब्लू स्टेट नहीं बल्कि यूनाइटेड स्टेट्स को देखता है।’ भारतीय प्रवासी उनकी भारत को लेकर योजनाओं को याद कर रहे हैं। वे भारत और अमेरिका में भारतीय समुदाय के साथ संबंधों के लिए इस साल 15 अगस्त को जारी नीतिगत पत्र की समुदाय को याद दिला रहे हैं।
इसने कहा, ‘बाइडन पहले से ही अपने इस विश्वास पर खरे उतरेंगे कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। बाइडन प्रशासन अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत बनाए रखने को अत्यधिक प्राथमिकता देगा। भारत और अमेरिका के जिम्मेदार साझेदारों के रूप में काम किए बिना किसी साझा वैश्विक चुनौती को हल नहीं किया जा सकता।’
ऐसी विशेष प्रतिबद्धताएं, जिनसे भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए मदद मिल रही है, उनमें आतंकवाद पर लगातार सहयोग, जलवायु परिवर्तन एवं स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर करारों में मजबूती और द्विपक्षीय व्यापार में कई गुना बढ़ोतरी पर काम करना शामिल हैं। इस पत्र में यह भी वादा किया गया कि 1.1 करोड़ अवैध प्रवासियों को लेकर एक व्यापक नजरिया अपनाया जाएगा। इनमें 17 लाख एशिया के और करीब पांच लाख भारत के हैं।
इस पत्र में एच1बी वीजा प्रणाली की समीक्षा करने का वादा किया गया है। इसमें वीजा की पेशकश को बढ़ाने और देश के हिसाब से रोजगार आधारित सीमा को खत्म करने का वादा किया गया है। अमेरिका से आईं रिपोर्टों में कहा गया है कि इन वादों में कुछ को पूरा करने पर काम शुरू हो गया है। ये वादे जनवरी में पदभार ग्रहण करने के कुछ दिनों के भीतर ही पूरे किए जा सकते हैं।
एक उद्यमी और बाइडन के निकट सहयोगी स्वदेश चटर्जी ने कहा, ‘बाइडन ने हमेशा भारत-अमेरिकी संबंधों का समर्थन किया है। लेकिन सीनेट की विदेश संबंध समिति के चेयरमैन के रूप में उन्होंने जो भूमिका निभाई, उसके बिना अमेरिकी कांग्रेस में ऐतिहासिक सिविल न्यूक्लियर समझौता नहींं होता।’
भारतीय कारोबारी संस्थाओं और लॉबी समूहों को अमेरिका के साथ कारोबारी समझौते सामान्य होने की पूरी उम्मीद है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (फियो) के महानिदेशक और सीईओ अजय सहाय ने कहा, ‘मेरा मानना है कि बाइडन प्रशासन बदले की भावना से शुल्क की जंग में शामिल नहीं होगा और ट्रंप की तरह एकतरफा शुल्क नहीं लगाएगा। इससे यह संभव होगा कि कारोबार में आगे को लेकर कुछ अनुमान लगाया जा सकेगा। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा कारोबार के लिए अनिश्चितता सबसे बड़ा खतरा है।’भारत का व्यापार अधिशेष ट्रंप के कार्यकाल में लगातार घटा है। अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बना रहा है कि वह हर्ले डेविडसन पर शुल्क में कटौती करे। अमेरिका ने पिछले साल एल्युमीनियम, इस्पात पर आयात शुल्क बढ़ा दिया था।
