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विवादास्पद मुद्दों पर नरमी का संकेत

Last Updated- December 11, 2022 | 10:48 PM IST

वाणिज्य मंत्रालय ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सरकारी खरीद, ई-कॉमर्स और पर्यावरण जैसे विवादास्पद व्यापारिक मसलों पर मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत देशों के साथ द्विपक्षीय रूप से ऐसे सौदों के लिए पहले बातचीत करते हुए निरंतर नरम होते रुख का संकेत दिया है।
डब्ल्यूटीओ में बड़ी संख्या में देश ई-कॉमर्स, पर्यावरण और निवेश सुविधा जैसे 21वीं सदी के मसलों पर बहुपक्षीय या संयुक्त बयान की पहल पर बातचीत कर रहे हैं जिसे भारत ने चुनौती दी है कि उनके पास डब्ल्यूटीओ की मंजूरी नहीं है और उन्हें इसकी नियम पुस्तिका में संशोधनों की अगुआई  नहीं करनी चाहिए।
बुधवार को पर्यावरण संबंधी तीन नई पहलों के सह-प्रायोजकों ने संयुक्त रूप से मुलाकात की और भविष्य की व्यापारिक चर्चाओं के केंद्र में पर्यावरण संबंधी चिंताओं को रखने का प्रण लिया। 111 देश निवेश सुविधा करार पर भी बातचीत कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में विश्व व्यापार संगठन के 67 सदस्यों ने सेवाओं के घरेलू नियमों पर बहुपक्षीय निष्कर्ष निकाला था, जिसका उद्देश्य विदेशी सेवा प्रदाताओं के लिए मेजबान देश में परिचालन केलिए अधिकार या लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रियाओं तक पहुंच, जानकारी और उनका पालन करना आसान बनाना है।
हालांकि बहुपक्षीय स्तर पर भारत का इस तरह के समझौतों का विरोध नहीं है, लेकिन द्विपक्षीय सौदों में वह ऐसे मसलों को शामिल करता है। इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या भारत उन नए क्षेत्रों के लिए तैयार है, जिनमें वह द्विपक्षीय व्यापार के लिए समझौते कर रहा है, वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत के पास कोई विकल्प नहीं है। मंगलवार को सीआईआई पार्टनरशिप समिट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि या तो आप जुड़े हुए नहीं हैं, या जुड़े हुए हैं। अगर आप यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से बात करना चाहते हैं, तो वे कहेंगे कि आइए हम पर्यावरण, लिंग, सरकारी खरीद की बात करते हैं।
सुब्रमण्यम ने माना कि भले ही भारत को इन नए क्षेत्रों में बहुत अधिक अनुभव या उसके पास क्षमता नहीं है क्योंकि संबंधित विभाग ने वास्तव में कभी भी अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर विचार नहीं किया, तब भी द्विपक्षीय एफटीए और अधिक सुरक्षित माहौल में क्षमता निर्माण करेगा।
उन्होंने कहा, ‘डब्ल्यूटीओ में आप समूचे 180 सदस्यों का सामना कर रहे हैं। यहां पर हम इसे द्विपक्षीय तौर पर अंजाम दे रहे हैं। पहले इस क्षेत्र का अनुभव लीजिए और जब आपके पास एक निश्चित स्तर की सहूलियत हो जाए, जब आप घरेलू विरोधियों को इन विशिष्ट क्षेत्रों के फायदे समझाने में सफल हो जाएं तब वास्तव में आप इसे बहुपक्षीय बना सकते हैं। हम वास्तव में इसे नींव के पत्थर के तौर पर देखते हैं जिसके आधार पर हम एक बड़ा बहुपक्षीय समझौता तैयार करेंगे। मुझे एक भविष्य नजर आ रहा है, 10 वर्षों के बाद हमारे पर डब्ल्यूटीओ में एक अलग दृष्टिकोण होगा।’

First Published - December 16, 2021 | 11:47 PM IST

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