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दिल्ली NCR की तर्ज पर यूपी में SCR बनाने के लिए अध्यादेश लाई योगी सरकार, नजूल विधेयक पर छिड़ा विवाद

बुधवार को विधानसभा में पेश एससीआर विधेयक के मुताबिक लखनऊ समेत 6 जिलों को मिलाकर राज्य राजधानी क्षेत्र बनाया जाएगा।

Last Updated- July 31, 2024 | 9:18 PM IST
UP CM Yogi Adityanath

UP SCR Ordinance: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन में एससीआर विधेयक पेश किया गया। हालांकि विधेयक का विपक्षी समाजवादी पार्टी के विधायकों ने विरोध किया और कहा कि पहले सरकार को इन जिलों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर ध्यान देना चाहिए। प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए नजूल विधेयक पर भी आज सत्ता पक्ष व विपक्ष में जमकर नोकझोंक हुई है। सत्ता पक्ष के और समर्थक दलों के विधायकों ने भी नजूल विधेयक का विरोध किया।

बुधवार को विधानसभा में पेश एससीआर विधेयक के मुताबिक लखनऊ समेत 6 जिलों को मिलाकर राज्य राजधानी क्षेत्र बनाया जाएगा। प्रदेश सरकार का कहना है कि एनसीआर की तर्ज पर ही एससीआर बनेगा, इससे तेजी से विकास होगा। राज्य राजधानी क्षेत्र में लखनऊ, रायबरेली, बाराबंकी के साथ ही उन्नाव, हरदोई और सीतापुर जिले को शामिल किया गया है।

इन जिलों की 27826 वर्ग किलोमीटर जमीन को एससीआर में शामिल किया गया है। इसका मुख्यालय राजधानी लखनऊ में बनाया गया है। साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाते हुए उसे इन क्षेत्रों में नक्शा पास करने, ले-आउट को मंजूरी देने का काम दे दिया जाएगा।

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नवगठित उत्तर प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र में लखनऊ का 2,528 वर्ग मीटर क्षेत्र के साथ हरदोई जिले का 5,985 वर्ग मीटर, सीतापुर का 5,743 वर्ग मीटर, उन्नाव का 4,588 वर्ग मीटर, रायबरेली जिले का 4,609 वर्ग मीटर और बाराबंकी का 4,402 वर्ग मीटर क्षेत्र शामिल किया जाएगा। एससीआर बनने के बाद इन जिलों में भी निजी क्षेत्र द्वारा भवन व भूखंड बनाना और बेचना आसान नहीं होगा। इसके लिए उन्हें विकास प्राधिकरण से नक्शा व ले-आउट पास कराना होगा। अभी बड़े पैमाने पर राजधानी लखनऊ के आसपास के जिले में जिला पंचायत की मंजूरी के साथ जमीनों व भवनों की खरीद-बिक्री का काम किया जा रहा था। एससीआर बन जाने के बाद इस पर रोक लग जाएगी।

दूसरी ओर उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को नजूल विधेयक पर जमकर हंगामा हुआ। सत्तापक्ष के विधायकों से लेकर सरकार समर्थक दलों ने भी विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह लोगों के सर से छत छीनने का काम करेगा। गौरतलब है कि योगी सरकार ने सोमवार को मॉनसून सत्र के पहले दिन सदन में नजूल विधेयक पेश किया था। विधेयक के मुताबिक प्रदेश सरकार अब नजूल की जमीन को पट्टे पर नहीं देगी। इसके अलावा पट्टे की समय सीमा समाप्त होने के बाद पट्टेदारों को बेदखल कर नजूल की जमीन वापस लेने का सरकार को अधिकार होगा।

उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति लोक प्रयोजनार्थ प्रबंधन और उपयोग विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष व सरकार समर्थक दलों ने हंगामा कर दिया। भाजपा के प्रयागराज से विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी ने विरोध करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी लोगों को आवास दे रहे हैं और प्रदेश सरकार बने हुए घरों को गिराने का विधेयक लेकर आयी है। उन्होंने कहा कि पहले जो लोग नजूल की जमीन पर रह रहे हैं उनकी जमीन को फ्री होल्ड किया जाए। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने कहा कि नजूल भूमि विधेयक लाया गया है। वह इस विधेयक का विरोध करते हैं क्योंकि यह जनता के हित में नहीं है, इसमें सुधार किया जाना चाहिए।

First Published - July 31, 2024 | 7:28 PM IST

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