उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपी रोडवेज) नए बस टर्मिनलों के साथ कमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी बनाएगी। निगम अब अपने बस स्टेशनों पर नागरिक सुविधाएं बढ़ाने के साथ उनसे राजस्व अर्जित करने के संसाधन भी विकसित करेगी। प्रदूषण मुक्त हरित परिवहन को आगे बढ़ाने के लिए 5000 इलेक्ट्रिक बसें भी रोडवेज के बेड़े में शामिल की जाएंगी।
हाल ही में परिवहन निगम के द्वारा 12 बस टर्मिनल्स के निर्माण, नवीनीकरण और उन्हें कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे आगरा, गोरखपुर, मिर्जापुर, बुलंदशहर, गढ़ मुक्तेश्वर, मथुरा, कानपुर सेंट्रल व वाराणसी कैण्ट समेत कई नए टर्मिनल्स के निर्माण तथा पुराने बस अड्डों के मेकओवर को गति मिलेगी। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री योगी की मंशा के मुताबिक 5000 इलेक्ट्रिक बसों को निगम के बेड़े में शामिल किए जाने के काम को तेज किया गया है। इन सभी कामों को पूरा करने के लिए निविदा मार्च में ही जारी कर दी गई थी, मगर लोकसभा चुनावों के कारण इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका था। इसे अब दोबारा 14 जून से शुरू कर दिया जाएगा।
परिवहन निगम के अधिकारियों ने बताया कि 12 बस टर्मिनल कम कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के निर्माण व मेकओवर की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस क्रम में, आगरा के ईदगाह व ट्रांसपोर्ट नगर, गाजियाबाद के साहिबाबाद, गोरखपुर, मिर्जापुर, बुलंदशहर, बरेली, गढ़ मुक्तेश्वर, अलीगढ़ के रसूलाबाद, वाराणसी कैंट, कानपुर सेंट्रल में 12 बस टर्मिनल कम कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के निर्माण तथा मथुरा में पुराने बस अड्डे के नवीनीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन सभी स्थानों पर नागरिक सुविधाओं के विकास के साथ ही इन्हें कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में परिवर्तित कर इनके जरिए राजस्व अर्जित के मॉडल पर भी फोकस किया जा रहा है। इससे न केवल यहां से यात्रा करने वाले यात्रियों को आधुनिक सुविधाओं का लाभ मिलेगा बल्कि निगम की आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
इसके साथ ही परिवहन निगम द्वारा 5000 इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति, संचालन और रखरखाव की प्रक्रिया को लेकर निविदा प्रक्रिया एक बार फिर शुरू की गई है। बसों की खरीद की प्रक्रिया 14 जून से शुरू होगी। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने निगम के बेड़े में कई चरणों में इलेक्ट्रिक बसों को शामिल किए जाने की योजना बनाई है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य के परिवहन नेटवर्क को विस्तारित करने की दीर्घकालिक रणनीति के तौर पर 50,000 बसों के बेड़े को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है जो कि आगामी वर्षों में पूरा हो जाएगा।