अब तक उत्तर प्रदेश के औद्योगिक मानचित्र पर नजर न आने वाले बुंदेलखंड की दशा व दिशा डिफेंस कॉरीडेर के झांसी नोड में हो रहे बंपर निवेश, सोलर परियोजनाओं और बल्क ड्रग पार्क से बदलेगी।
उत्तर प्रदेश में बन रहे डिफेंस क़रीडोर के झांसी नोड में प्रदेश सरकार को अब तक 7514.91 करोड़ रुपये का निवेश मिल चुका है। इस निवेश के लिए 26 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और इससे 5774 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही बुंदेलखंड के विभन्न क्षेत्रों में लग रही 10 सौर ऊर्जा परियोजनाओं से जल्द ही 3000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
इसी साल फरवरी में संपन्न हुए ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में बुंदेलखंड के लिए 30000 करोड़ रुपये की 29 बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत हुयी है। इनमें से दस परियोजनाएं सौर ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी हुयी हैं, जोकि बुंदेलखंड के हमीरपुर को छोड़कर बाकी सभी 6 जिलों जालौन, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट और महोबा में स्थापित हो रही हैं।
औद्योगिक विकास विभाग के तहत कार्यरत इन्वेस्ट यूपी के मुताबिक डिफेंस कॉरीडोर में अब तक हस्ताक्षरित 26 इकाइयों के लिए समझौता ज्ञापनों में से 8 के लिए जमीन का आवंटन पूरा कर दिया गया है। कॉरीडोर के झांसी नोड में लग रही इन इकाइयों में 3309.11 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 1570 लोगों को रोजगार मिलेगा।
जिन उद्यमों को जमीन आवंटन किया जा चुका है उनमें भारत डायनामिक्स लिमिटेड, डब्लूबी इलेक्ट्रानिक्स, लारेंको डिफेंस, मुरारी इंजीनियरिंग व स्वर्ण इंफ्राटेल प्रमुख हैं। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर बुंदेलखंड के डिफेंस कॉरीडोर में रक्षा उद्योग से संबंधित कल पुर्जे व अन्य सामाग्री तैयार करने के लिए छोटे व मझोले उद्योग भी लगेंगे।
अधिकारियों के मुताबिक बुंदेलखंड के सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार ललितपुर में प्रदेश सरकार ने बल्क ड्रग पार्क निर्माण का काम शुरु किया है। ललितपुर जिले के पांच गांवों में 1472 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित इल पार्क के लिए पहले चरण में 300 एकड़ क्षेत्रफल में आधारभूत संरचनाएं विकसित करने के लिए यूपीसीडा डीपीआऱ तैयार कर रही है।
प्रदेश सरकार ललितपुर को जेनरिक दवाओं के हब के तौर पर विकसित करना चाहती है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) जैसी भारत सरकार की बड़ी संस्थाओं को बल्क ड्रग पार्क से जोड़ते हुए इन्हें नॉलेज पार्टनर बनाया है। पार्क में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सीएसआईआर और डीआरडीओ की विभिन्न लैब्स के साथ एमओयू किया गया है।