उत्तर प्रदेश सरकार में लघु उद्यम मंत्री के कब्जे में 72 इंडस्ट्रियल प्लॉट पाए जाने के बाद प्रदेश भर के औद्योगिक क्षेत्रों की जांच होगी। जांच में जिन भूखंडों पर औद्योगिक इकाइयां नहीं लगी होंगी उन्हें निरस्त कर नए सिरे से उद्यमियों को आवंटित किया जाएगा। फतेहपुर में मंत्री के नाम 72 औद्योगिक भूखंडों के आवंटन के मामले में जांच पूरी कर ली गई है। पूरे मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों पर कारवाई करने को भी कहा गया है।
अधिकारियों का कहना है कि बड़ी तादाद में औद्योगिक क्षेत्रों में आवंटित प्लॉट पर इकाई स्थापित नहीं की गयी है। अब इन्हें चिन्हित कर आवंटन निरस्त किया जाएगा। नियमों के मुताबिक औद्योगिक प्लॉट आवंटित होने के 10 दिनों के भीतर डीड करनी होगी और एक महीनों में लागत का 10 फीसदी पैसा जमा करना होता है। प्लॉट पर छह महीनों के भीतर इकाई की स्थापना कर देने का प्रावधान है। हालांकि 10 साल पहले सांसद रहते वर्तमान लघु उद्यम मंत्री राकेश सचान को फतेहपुर जिले के दो औद्योगिक क्षेत्रों में आवंटित 72 प्लॉट में कहीं भी कोई इकाई नहीं लगायी गयी। इन आवंटनों के लिए दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। उद्योग निदेशालय में संयुक्त आयुक्त सर्वेश्वर शुक्ला ने बताया कि मामले में दोषी फतेहपुर के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति कर दी गयी है।
गौरतलब है कि उद्यमियों की संस्था लघु भारती के फतेहपुर जिला अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने लघु उद्यम मंत्री राकेश सचान के नाम 72 प्लॉट आवंटित होने व किसी पर भी कोई इकाई न लगाए जाने की शिकायत की थी।
शिकायत पर आयुक्त एवं निदेशक उद्योग ने जांच के लिए उपनिदेशक अजय चौरसिया व सहायक निदेशक संध्या को भेजा था। दोनो ने जांच रिपोर्ट में बताया कि आवंटन 11 मई 2012 को किया गया और न तो डीड की गयी और न ही कोई धनराशि जमा करायी गयी। इस पूरे प्रकरण में महाप्रबंधक उद्योग एवं तत्कालीन उपायुक्त फतेहपुर को दोषी माना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के और भी प्लॉट हो सकते हैं जहां नियमों का पालन करते हुए उद्योग स्थापित करने का काम नहीं किया गया हो। अब पूरे जिले में औद्योगिक क्षेत्रों में आवंटित भूखंडों की वस्तुस्थिति की जानकारी जुटाने के लिए सहायक निदेशक प्रयागराज जयश्री को भेजा गया है।
गौरतलब है कि फतेहपुर जिले में चौडगरा, जगतसराय, त्रिलोकपुरी, इटरौरा, चकहता, सुधवापुर, सुरजही और रामपुर में औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना 1987 से 1992 के बीच की गयी थी। इन औद्योगिक क्षेत्रों में 360 प्लॉट विकसित किए गए जिनमें से चकहता व सुधवापुर में 72 प्लॉट राकेश सचान की संस्था अभिनव शिक्षा संस्थान को 2012 में आवंटित कर दिए गए। उक्त सभी खाली पड़े हैं और इनमें से कुछ पर कभी-कभार गौशालाओं का संचालन किया गया है।
लघु उद्यम मंत्री का कहना है कि उन्होंने विभाग का काम संभालते ही इकाई न लगाने वाले भूखंडों की जांच कर उन्हें निरस्त करने के आदेश दिए थे। उन्होंने खुद ही प्लॉट को निरस्त करने के लिए लिख दिया था।