भारत के थलसेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने गुरुवार को राजधानी नई दिल्ली में आयोजित चाणक्य डिफेंस डायलॉग के तीसरे संस्करण में कहा कि भारतीय सेना ने बढ़ते संघर्षों के बीच तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों में निर्णायक बने रहने और भविष्य की तैयारी के तहत ‘विकसित भारत’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप तीन चरणों वाले बदलाव की योजना बनाई है, जो 2047 में पूरी होगी।
सेना प्रमुख ने योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पहला चरण, ‘हॉप 2032’ है जो सेना के परिवर्तन के दशक की पहल के तहत एक व्यापक ढांचा है, जिसे 2023 में शुरू किया गया था। दूसरा चरण, ‘स्टेप 2037’ वास्तव में पहले चरण से मिले लाभ को मजबूत करने की पांच साल की अवधि है। यह योजना तीसरे चरण, ‘जंप 2047’ में पूरी होगी जिसके तहत सेना का लक्ष्य एक एकीकृत, भविष्य के लिए तैयार बल के रूप में उभरना है।
सेना प्रमुख ने उन चार ‘स्प्रिंगबोर्ड’ की भी रूपरेखा बताई जो इस बदलाव वाली योजना को गति देंगे। इसमें पहला है आत्मनिर्भरता, जो स्वदेशीकरण के माध्यम से सशक्तिकरण पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, ‘यह हमारा पहला स्प्रिंगबोर्ड बना हुआ है। इसके परिणाम रक्षा विनिर्माण,अंतरिक्ष उपलब्धियों और तेजी से सैन्य प्रौद्योगिकी अपनाने में दिखाई दे रहे हैं। फिर भी हमें अपनी आत्मनिर्भरता क्षमता आधार को और गहरा करने के लिए बहुत कुछ करना बाकी है।’
दूसरा है त्वरित नवाचार। उन्होंने कहा, ‘हमें अब आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, साइबर क्वांटम, स्वायत्त प्रणालियों, अंतरिक्ष और अत्याधुनिक सामग्रियों में प्रयोग से उद्यम-स्तरीय प्रभाव की ओर बहुत तेजी से बढ़ना चाहिए।’ तीसरा है अनुकूलन और पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार।
चौथा है सैन्य-नागरिक समन्वय। उन्होंने कहा, ‘युद्धक क्षमताओं का विकास एक बहु-एजेंसी, बहु-मॉडल प्रयास है, जिसमें अकादमिक जगत, उद्योग और तीनों सेनाओं को एक-दूसरे के क्षेत्र में गहन तालमेल हासिल करने की बात शामिल है। सेना संकोच छोड़ रही है, स्टार्टअप को पूंजी दे रही है और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मिशन में शामिल हो रही है और इस बदलाव को और भी मजबूत करने के लिए तैयार है।’ गुरुवार और शुक्रवार को आयोजित किए जा रहे चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 का विषय ‘सुधार से परिवर्तन: सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत’ है।