पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण के प्रभाव की चिंताओं के मद्देनजर मंगलार को कहा कि राष्ट्रीय एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम के नए लक्ष्य निर्धारित करने से पूर्व ‘आकलन’ किया जाएगा।
इस कार्यक्रम का लक्ष्य पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण कर देश की कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करना और कॉर्बन उत्सर्जन को घटाना है। इस कार्यक्रम ने 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल कर लिया था। यह लक्ष्य वास्तविक रूप से वर्ष 2030 के लिए निर्धारित किया गया था लेकिन यह समय से पहले हासिल कर लिया गया।
पुरी ने नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में बताया कि हमने 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य तय किया था – इसकी लक्ष्य तिथि 2030 थी लेकिन हमने इस लक्ष्य को छह वर्ष पूर्व हासिल कर लिया है। मैं यहां पर विराम लगाऊंगा, हम आकलन करेंगे और फिर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने बताया, ‘आपने सभी कहानियां सुनते हैं कि हम तेजी से आगे बढ़ने जा रहे हैं। हमें उन निष्कर्षों पर पहुंचना ही होगा – जब पारिस्थितिकीतंत्र सभी को अपना रहा है।’
पुरी ने केपीएमजी इनरिच कार्यक्रम में बताया कि भारत ने 2014 तक 1.4 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल कर लिया था। देश ने निरतंर ध्यान केंद्रित करने के कारण पांच महीने पहले नवंबर 2022 में 10 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को हासिल कर लिया था।
वाहन मालिकों और निर्माताओं ने इंजन की सेहत, माइलेज और ईंधन के मूल्य को लेकर सवाल उठाए थे। तेल मंत्रालय ने बीते माह वाहनों या इंजनों पर ई 20 ईंधन के प्रभाव को नकार दिया था।
पुरी ने ‘इंजन पर बायोफ्यूल के प्रभाव की खबरों’ की प्रामाणिकता को नकारते हुए कहा, ‘यदि एक व्यक्ति रोजाना दिल्ली से गुरुगांव तक गाड़ी लेकर जाता है तो वाहन की दक्षता 1 से 2 प्रतिशत कम आने के 21 कारण हैं।’
पुरी ने कहा कि सरकार ने 2016 के बाद से तेल और गैस के क्षेत्र में कई सुधारों को लागू किया। इनमें ‘लैंडमार्क’ ऑयलफील्ड (विनियमन और विकास) संशोधन अधिनियम ने निजी क्षेत्र को तेल की खोज करने और उत्पादन को अधिक आकर्षक बना दिया है।