वित्त और संबंधित क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी दर भारत में लगातार कम हो रही है। कार्यबल में हर आठ लोगों पर औसतन केवल एक महिला शामिल है। सीएफए इंस्टीट्यूट द्वारा 134 कंपनियों के अध्ययन से यह जानकारी मिली है।
निवेश पेशेवरों के वैश्विक गैर-लाभकारी संगठन ने वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 22) के लिए अपनी – ‘कारोबारी उत्तरदायित्व और स्थिरता रिपोर्ट’ (बीआरएसआर) में 134 सूचीबद्ध फर्मों द्वारा किए गए खुलासे का विश्लेषण किया गया है।
बीआरएसआर की इस रूपरेखा में वर्ष 2021 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा अनिवार्य किए गए स्थिरता के खुलासे शामिल हैं। इसमें भारतीय कंपनियों को कार्यबल की संरचना, वेतन, नौकरी छोड़ने की दर और स्त्री-पुरुष के आधार पर विभाजन जैसे अन्य कारकों के विषयों में सूचना देने के लिए कहा गया था। वित्त वर्ष 22 के लिए ये खुलासे स्वैच्छिक हैं और वित्त वर्ष 2022-23 से शीर्ष 1,000 कंपनियों के लिए अनिवार्य हैं।
अध्ययन में पाया गया है कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में सूचना प्रौद्योगिकी और वित्तीय सेवाओं जैसे बड़े कार्यबल और भागीदारी दर वाले क्षेत्रों में महिलाओं की कैरियर प्रगति कम रही। उदाहरण के लिए वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनियों के मामले में महिलाओं ने 21.7 प्रतिशत कर्मचारियों और 15.9 प्रतिशत प्रमुख प्रबंधन कर्मियों का प्रतिनिधित्व किया।
सीएफए सोसायटी इंडिया के चेयरपर्सन राजेंद्र कलूर ने कहा कि भारत में महिलाओं को अपने करियर में कई अतिरिक्त बाधाओं का सामना करना पड़ता है और कार्यस्थल में स्त्री-पुरुष संबंधी कई मापदंडों का आकलन इन मसलों को समझने की बड़ी शुरुआत है।