सेमीकंडक्टर उद्योग क्षेत्र के दिग्गजों ने ‘सेमीकॉन इंडिया 2025’ में बुधवार को कहा कि सरकारी प्रोत्साहन, सेमीकंडक्टर चिप एवं इससे जुड़े उत्पादों की सरकारी खरीद, और स्टार्टअप में निवेश भारत को एक ‘उत्पाद बनाने वाले देश’ बनाने में मदद कर सकता है। इस क्षेत्र के प्रमुख अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि सही सरकारी नीतियां और एक अच्छा माहौल बनाना, देश के सेमीकंडक्टर सपनों को पूरा करने के लिए बहुत जरूरी है।
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के अध्यक्ष और एचसीएल इंफोसिस्टम्स के सह-संस्थापक, अजय चौधरी ने कहा कि भारत को अपनी ताकत का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अब समय आ गया है कि हम एक उत्पाद बनाने वाला देश बनें। अभी भारत में केवल 20-30 कंपनियां ही चिप बना रही हैं, लेकिन हमें ऐसी सैकड़ों कंपनियों की जरूरत है।’ उन्होंने यह भी कहा कि जब देश अपने खुद के उत्पाद बनाने लगे, तब सरकार को शुरुआती बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन और कारोबार के मौके देने चाहिए।
उन्होंने अमेरिका के डीएआरपीए (डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी) मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा, अमेरिका ने एक स्टार्टअप को चुनौती दी, जिसने उत्पाद तैयार किया और सरकार ने उसी कंपनी को कारोबार दिया।
इसी तरह, वाहन के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी यूनो मिंडा के उपाध्यक्ष कार्तिकेय जोशी ने कहा कि सरकार की शुरुआती मांग स्टार्टअप से होनी चाहिए जिससे स्टार्टअप के लिए सफलता के रास्ते खुलते हैं।
अल्फावेव सेमी इंडिया के प्रबंध निदेशक संदीप गुप्ता ने कहा, ‘सेमीकंडक्टर में एक उत्पाद बनाने के लिए कम से कम 15 साल का अनुभव चाहिए। ऐसे में निर्माताओं को एक तरह की खरीद की गारंटी की जरूरत होती है।’
इंडीसेमिक के संस्थापक निकुल शाह ने कहा कि निवेशकों का भरोसा भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘चीन हर महीने और हर साल तकनीक बदल रहा है और हम अभी शुरुआत कर रहे हैं, ऐसे में हमें तेजी से आगे बढ़ना होगा। अगर सरकार एक ही कंपनी की कई परियोजनाओं को मंजूरी दे और निवेशक कंपनियों को चिप बनाने में मदद करें, तो यह अगले कुछ सालों में क्रांतिकारी हो सकता है।’