सदियों तक अभिशप्त रही अयोध्या का पुनरुद्धार हुआ है और अब यह सांस्कृतिक, आयुष्मान, स्वच्छ, सक्षम, सुरम्य व सुगम्य होकर सामने आई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि राम मंदिर वहीं बनाया गया है जहां बनाने का संकल्प लिया था। अयोध्या की गलियों में गोलियों की गड़गड़ाहट नहीं होगी। कर्फ्यू नहीं लगेगा बल्कि, राम नाम का संकीर्तन होगा।
उन्होंने कहा कि जिस अयोध्या को “अवनि की अमरावती” और “धरती का वैकुंठ” कहा गया, वह सदियों तक अभिशप्त रही थी। योगी ने कहा कि हमारी पीढ़ी भाग्यवान है, जो इस राम-काज के साक्षी बन रहे हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा 500 वर्षों के लबे अंतराल के बाद आज के इस चिर-प्रतीक्षित मौके पर अंतर्मन में भावनाएं कुछ ऐसी हैं कि उन्हें व्यक्त करने को शब्द नहीं मिल रहे हैं। मन भावुक है, भाव विभोर है और भाव विह्वल है। आखिर भारत को इसी दिन की तो प्रतीक्षा थी।
योगी ने कहा कि रामजन्मभूमि, संभवतः विश्व में पहला ऐसा अनूठा प्रकरण रहा होगा, जिसमें किसी राष्ट्र के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य के जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने वर्षों तक और इतने स्तरों पर लड़ाई लड़ी हो। संन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों सहित समाज के हर वर्ग ने जाति-पाति, विचार- दर्शन, उपासना पद्धति से ऊपर उठकर राम काज के लिए स्वयं का उत्सर्ग किया।
उन्होंने कहा कि राम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है और भारतीय समाज ने संयम बनाये रखा, लेकिन हर एक नए दिन के साथ हमारा संकल्प और दृढ़ होता गया। आज अयोध्या में त्रेतायुगीन वैभव उतर आया है। दिख रहा है। यह धर्म नगरी ‘विश्व की सांस्कृतिक राजधानी’ के रूप में प्रतिष्ठित हो रही है।
योगी ने कहा कि कुछ वर्षों पहले तक यह कल्पना से परे था कि अयोध्या में एयरपोर्ट होगा। यहां नगर के भीतर 4 लेन सड़क होगी। सरयू में क्रूज चलेंगे। अयोध्या की खोई गरिमा वापस आएगी। डबल इंजन सरकार के प्रयासों से यह सब सपना साकार हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राम जी की पैड़ी, नया घाट, गुप्तार घाट, ब्रह्मकुंड आदि विभिन्न कुंडों के कायाकल्प, संरक्षण, संचालन और रखरखाव का कार्य हो रहा है। रामायण परंपरा की ‘कल्चरल मैपिंग’ कराई जा रही है, राम वन गमन पथ पर रामायण वीथिकाओं का निर्माण हो रहा है। आधुनिक पैमाने के अनुसार सभी नगरीय सुविधाएं भी विकसित हो रहीं हैं। इस शहर को ‘सोलर सिटी’ के रूप में विकसित किया जा रहा।
इस मौके पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि रामलला के साथ ही आज भारत का स्व लौटकर आया है। सदियों के अभूतपूर्व धैर्य, त्याग, तप और बलिदान श्रीराम की वह नीतियां हैं, जिनका पालन कर हम भारत को भी विश्व गुरू बनाने का कार्य कर सकेंगे।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि संपूर्ण विश्व को त्रासदी से राहत देने वाला एक नया भारत उठ खड़ा होगा इसका यह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम साक्षी बन रहा है। उन्होंने कहा कि राम अयोध्या से बाहर क्यों गए इसके पीछे कलह कारण था। श्रीराम वनवास में गए और पूरी दुनिया का कलह मिटाकर लौटे। आज 500 वर्ष बाद श्रीराम फिर लौटे हैं।
संघ प्रमुख ने कहा कि रामराज्य के सामान्य नागरिकों का जो वर्णन है वह अब हमारे व्यवहार से साकार हो सकता है। संयमित व्यवहार की तपश्चर्या हम सबको करनी होगी। हमें क्लेश-कलह नहीं बल्कि उच्च आचरण से देश की तरक्की में योगदान देना होगा।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अयोध्या में भगवान की लीला ऐसी है जिसका वर्णन शब्दों में नहीं हो सकता है। उन्होंने जनमानस को श्रीराम की इस पावन जन्मभूमि पर अपनी श्रद्धा-समर्पण का भाव अर्पित करने का आह्वान किया।