कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को लोक सभा में ‘चुनाव सुधार’ पर बहस में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर चुनाव आयोग के साथ मिलीभगत कर ‘वोट चोरी’ करने का आरोप लगाया और इसे सबसे बड़ा राष्ट्र-विरोधी कृत्य बताते हुए कहा कि यह आधुनिक लोकतांत्रिक भारत के विचार को नष्ट कर रहा है। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने मंगलवार को ‘चुनाव सुधार’ पर चर्चा शुरू की और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) तथा जनता दल (यूनाइटेड) जैसे अपने सहयोगियों को मैदान में उतारा। दोनों दलों के वक्ताओं ने विपक्ष पर वोट चोरी पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष ईवीएम में छेड़छाड़ का मुद्दा केवल अपनी चुनावी हार के बाद ही उठाता है।
चुनाव सुधार पर चर्चा की शुरुआत करने वाले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने तर्क दिया कि निर्वाचन आयोग के पास एसआईआर आयोजित करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्होंने वीवीपीएटी पर्चियों की 100 प्रतिशत गिनती अनिवार्य करने या पेपर बैलेट से चुनाव कराने की प्रक्रिया दोबारा शुरू करने का सुझाव दिया।
तिवारी ने चुनाव से पहले लोगों को सीधे नकद हस्तांतरण की अनुमति नहीं देने और मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों का चयन करने के लिए मौजूदा तीन सदस्यीय पैनल में राज्य सभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने का भी आह्वान किया। राहुल गांधी ने अपने भाषण में पूछा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए चयन पैनल से क्यों हटाया गया। गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह चुनाव आयुक्त कौन होने जा रहा है, इसके बारे में इतने उत्सुक क्यों हैं।
उन्होंने कहा, ‘दिसंबर 2023 में इस सरकार ने कानून में संशोधन कर चुनाव आयुक्त रहते किसी भी अफसरशाह को उनकी गलतियों के लिए दंडित नहीं किए जाने का प्रावधान जोड़ दिया। भारत के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया।’ गांधी ने सवाल किया कि 45 दिनों के बाद सीसीटीवी फुटेज को नष्ट करने की अनुमति देने के लिए कानून क्यों बदला गया। उन्होंने यह भी मांग की कि चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को मतदान से एक महीने पहले मशीन से पढ़ने योग्य मतदाता सूची देनी चाहिए। यही नहीं, ईवीएम का निरीक्षण करने की अनुमति भी दी जानी चाहिए।
राहुल गांधी के भाषण समाप्त करने के तुरंत बाद भाजपा के निशिकांत दुबे ने कहा कि ईवीएम को 1987 में पायलट परियोजना के दौरान राहुल गांधी के पिता दिवंगत राजीव गांधी द्वारा ही देश में लाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सरकार में रहते चुनाव निकाय के शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को उपकृत किया था।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने एसआईआर पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘एक मतदाता, जिसका नाम 2024 की मतदाता सूची में था, उसे यह क्यों बताया जाना चाहिए कि वह मतदाता नहीं है, क्योंकि उसका नाम 2002 में नहीं था?’ बनर्जी ने मतदाता सूची में पारिवारिक संबंधों को सत्यापित करने के लिए डिजिटल एप्लिकेशन के चुनाव आयोग के उपयोग की भी आलोचना की। उन्होंने तर्क दिया कि कानून ‘रिश्तेदार’ को उस कठोर तरीके से परिभाषित नहीं करता है जिस तरह से लागू किया जा रहा है।
राज्य सभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर बहस हुई, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर राष्ट्रगीत की बहस को अगले वर्ष संभावित पश्चिम बंगाल चुनाव से जोड़ने की आलोचना की।