facebookmetapixel
Corporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यानDividend Stocks: सितंबर के दूसरे हफ्ते में बरसने वाला है मुनाफा, 100 से अधिक कंपनियां बांटेंगी डिविडेंड₹30,000 से ₹50,000 कमाते हैं? ऐसे करें सेविंग और निवेश, एक्सपर्ट ने बताए गोल्डन टिप्सभारतीय IT कंपनियों को लग सकता है बड़ा झटका! आउटसोर्सिंग रोकने पर विचार कर रहे ट्रंप, लॉरा लूमर का दावाये Bank Stock कराएगा अच्छा मुनाफा! क्रेडिट ग्रोथ पर मैनेजमेंट को भरोसा; ब्रोकरेज की सलाह- ₹270 के टारगेट के लिए खरीदें

डेरी उत्पादों के आयात की तैयारी, दुग्ध उत्पादन में ​स्थिरता के कारण आपूर्ति पर बढ़ रहा दबाव

Last Updated- April 06, 2023 | 12:11 AM IST
India leads global milk production, dairy sector crosses ₹12 trillion market value

लगभग एक दशक के बाद भारत को दुग्ध उत्पादों के आयात पर विचार करना पड़ सकता है। देश में दुग्ध उत्पादन ठहर जाने के कारण आपूर्ति में दिक्कत आ रही है। इसलिए सरकार बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनि​श्चित करने के लिए जरूरत पड़ने पर आयात की भी सोच सकती है।

पशुपालन एवं डेरी सचिव राजेश कुमार सिंह ने आज कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान दुग्ध उत्पादन नहीं बढ़ा। इसलिए आपूर्ति ठीक करने के लिए सरकार डेरी उत्पादों का आयात भी कर सकती है। भारत ने आखिरी बार 2011 में प्रमुख डेरी उत्पादों का आयात किया था।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सिंह के हवाले से कहा, ‘दक्षिणी राज्यों में इस समय दुग्ध उत्पादन चरम पर रहता है। वहां दूध के स्टॉक का जायजा लेने के बाद जरूरत पड़ने पर सरकार मक्खन और घी जैसे डेरी उत्पादों के आयात की मंजूरी दे सकती है।’

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश में 2021-22 में 22.1 करोड़ टन दुग्ध उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष के 20.8 करोड़ टन से 6.25 फीसदी अधिक है।
पिछले 15 महीनों में देश में दूध की कीमतें 12 से 15 फीसदी बढ़ गई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कीमत बढ़ने का सिलसिला अक्टूबर, 2023 से पहले नहीं रुकेगा। दूध की मुद्रास्फीति सितंबर 2022 में 5.55 फीसदी से बढ़कर फरवरी 2023 में 10.33 फीसदी हो गई है।

सचिव ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में मवेशियों में लंपी त्वचा रोग के कारण देश में दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि उत्पादन ​स्थिर रहने के बावजूद इस दौरान घरेलू मांग में 8 से 10 फीसदी की वृद्धि हुई। कोविड महामारी के बाद भी दूध की मांग बढ़ी है।

सिंह ने कहा, ‘देश में दूध की आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं है। स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) का पर्याप्त भंडार है। मगर वसा, मक्खन एवं घी जैसे डेरी उत्पादों का भंडार पिछले साल के मुकाबले कम है।’

सिंह ने जोर देकर कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के भंडार की स्थिति समझने के बाद जरूरत पड़ी तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेरी उत्पादों के आयात के लिए हस्तक्षेप कर सकती है। द​क्षिणी राज्यों में अब दुग्ध उत्पादन का पीक सीजन शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में कमी अपेक्षाकृत कम रहेगी। इस क्षेत्र में पिछले 20 दिनों के दौरान बेमौसम बारिश से तापमान में गिरावट आई है जिससे कम दुग्ध उत्पादन का सीजन आगे टल गया है।

सचिव के अनुसार पिछले साल लंपी त्वचा रोग के कारण 1.89 लाख मवेशियों की मौत होने से उत्पादन प्रभावित हुआ। साथ ही वै​श्विक महामारी के बाद के दौर में दूध की मांग बढ़ी है।

First Published - April 6, 2023 | 12:11 AM IST

संबंधित पोस्ट